आतंकवाद पर चुप्पी क्यों SCO में भारत का सख्त संदेश और राजनाथ सिंह का बड़ा फैसला

Rashmi Kumari -

Published on: June 27, 2025

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SCO: आज के दौर में जब आतंकवाद एक वैश्विक संकट बन चुका है, तब अंतरराष्ट्रीय मंचों से उस पर कड़ा और स्पष्ट रुख अपनाना ज़रूरी हो जाता है। ऐसे समय में भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करके यह साफ कर दिया है कि आतंकवाद पर समझौता संभव नहीं। यह फैसला कोई सामान्य राजनीतिक कदम नहीं था, बल्कि एक ऐसा संदेश है जो भारत की नीति, उसकी प्राथमिकताओं और उसकी स्पष्ट सोच को दर्शाता है।

भारत की दृढ़ता का प्रतीक बना SCO सम्मेलन

आतंकवाद पर चुप्पी क्यों SCO में भारत का सख्त संदेश और राजनाथ सिंह का बड़ा फैसला

SCO का गठन मूल रूप से आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई के उद्देश्य से किया गया था। लेकिन जब इस वर्ष के सम्मेलन में एक सदस्य देश ने यह शर्त रखी कि संयुक्त बयान में आतंकवाद का ज़िक्र न हो, तो भारत ने साफ कह दिया कि ऐसे बयान पर वह हस्ताक्षर नहीं करेगा। यह निर्णय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिया और अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी इसका पूरा समर्थन करते हुए कहा कि यह फैसला भारत की नीति के अनुरूप था।

जब उद्देश्य ही आतंकवाद से लड़ाई हो, तो चुप्पी क्यों

विदेश मंत्री जयशंकर ने स्पष्ट कहा कि जब SCO का मुख्य उद्देश्य ही आतंकवाद से लड़ना है, तो अगर कोई देश उस पर चर्चा तक नहीं चाहता, तो यह गंभीर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने बिना नाम लिए इशारा किया कि कौन सा देश ऐसा कर रहा है, लेकिन यह अनुमान लगाना कठिन नहीं है कि इशारा पाकिस्तान की ओर था।

भारत का यह रुख सिर्फ एक सम्मेलन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बताता है कि भारत वैश्विक मंचों पर साफ, नैतिक और मजबूती से भरा स्वर रखता है। भारत यह भी जताना चाहता है कि अगर किसी संगठन की नींव ही साझा सुरक्षा और आतंकवाद विरोध पर रखी गई है, तो फिर उस मूल भावना से पीछे हटना भारत के लिए स्वीकार्य नहीं।

भारत की भूमिका और SCO में उसकी सोच

भारत ने 2017 में SCO की सदस्यता ली और 2023 में इसका अध्यक्ष पद भी संभाला। इस दौरान भारत ने संगठन में सद्भावना, सहयोग और सुरक्षा की भावना को आगे बढ़ाया। लेकिन जब संगठन की एकता को आतंकवाद जैसे मुद्दे पर चुप्पी से खतरा होने लगा, तो भारत ने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनी और बिना किसी झिझक के अपना स्टैंड लिया।

भारत का SCO में संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर से इनकार केवल एक औपचारिक प्रक्रिया का बहिष्कार नहीं था, बल्कि यह एक सशक्त नैतिक निर्णय था। यह बताता है कि भारत आतंकवाद जैसे मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगा, चाहे वह कितनी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव की स्थिति क्यों न हो। यह कदम दुनिया को यह याद दिलाता है कि सुरक्षा, सत्य और साहस की राह पर चलना ही सच्ची कूटनीति है।

अस्वीकरण: यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध खबरों और बयानों पर आधारित है। इसमें व्यक्त विचार किसी भी सरकारी नीति या निर्णय का आधिकारिक प्रतिनिधित्व नहीं करते। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर विस्तृत जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों पर ही भरोसा करें।

Rashmi Kumari

मेरा नाम Rashmi Kumari है , में एक अनुभवी कंटेंट क्रिएटर हूं और पिछले कुछ वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रही हूं। फिलहाल, मैं The News Bullet पर तकनीकी, स्वास्थ्य, यात्रा, शिक्षा और ऑटोमोबाइल्स जैसे विषयों पर आर्टिकल लिख रही हूं। मेरा उद्देश्य हमेशा जानकारी को सरल और आकर्षक तरीके से प्रस्तुत करना है, ताकि पाठक उसे आसानी से समझ सकें और उसका लाभ उठा सकें।

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