UKSSSC देहरादून।
सुबह का वक्त है। पहाड़ की ढलानों पर बसे छोटे-छोटे गाँवों से बच्चे किताबों से भरा बैग लेकर निकलते हैं। स्कूल की घंटी बजती है, लेकिन कई कक्षाएँ खाली पड़ी रहती हैं। शिक्षक कम हैं, बच्चों की आँखों में सवाल ज़्यादा। इन्हीं सवालों का जवाब बनकर आई है UKSSSC (उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग) की नई भर्ती अधिसूचना। आयोग ने असिस्टेंट टीचर (स्पेशल एजुकेशन) के 128 पदों पर आवेदन आमंत्रित किए हैं।
आवेदन कब और कैसे
UKSSSC भर्ती प्रक्रिया का आगाज़ 17 सितंबर 2025 से होगा और उम्मीदवारों को 7 अक्टूबर 2025 तक ऑनलाइन आवेदन करने का मौका मिलेगा। उसके बाद 10 से 12 अक्टूबर तक सुधार की खिड़की भी खुली रहेगी। परीक्षा का आयोजन 18 जनवरी 2026 को होने की संभावना है।
आवेदन sssc.uk.gov.in वेबसाइट पर किए जा सकते हैं। आवेदन शुल्क सामान्य और ओबीसी वर्ग के लिए ₹300, जबकि एससी, एसटी, ईडब्ल्यूएस और दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए ₹150 तय किया गया है।

खासियत क्या है
UKSSSC: यह भर्ती उन शिक्षकों के लिए है, जिन्हें विशेष शिक्षा (Special Education) में योग्यता और प्रशिक्षण प्राप्त है। यानी वे बच्चे जो सीखने में थोड़ी अतिरिक्त मदद चाहते हैं, उनके लिए अब योग्य शिक्षक मिल सकेंगे। यह पहल न सिर्फ नौकरी का अवसर है, बल्कि समाज में समावेशी शिक्षा की दिशा में एक ठोस कदम भी है।
युवाओं की धड़कनें तेज़
हर भर्ती की घोषणा के साथ उत्तराखंड के युवाओं में एक हलचल पैदा होती है। पहाड़ के एक गाँव के अभ्यर्थी ने कहा,
“हमारे यहाँ नौकरी के मौके बहुत कम हैं। UKSSSC की यह भर्ती हमारे लिए जैसे लंबी यात्रा के बाद ठंडी छाँव हो।”
कई युवा महीनों से तैयारी कर रहे हैं। किताबें, कोचिंग, नोट्स और रात-रात भर जलती लालटेन — ये सब अब एक परीक्षा की घड़ी में बदल रहे हैं।
परिवारों की उम्मीद
सिर्फ अभ्यर्थी ही नहीं, बल्कि उनके परिवार भी इस भर्ती को उम्मीद की रोशनी मान रहे हैं। एक माँ ने रोते हुए कहा,
“मेरा बेटा B.Ed. करके बैठा है, घर पर बेरोज़गार है। अगर यह नौकरी मिल जाए, तो उसके साथ हमारा घर भी संभल जाएगा।”
दूर-दराज़ के इलाकों में रहने वाले अभिभावक भी खुश हैं कि शायद अब उनके बच्चों को सही मार्गदर्शन मिलेगा।
चुनौतियाँ भी कम नहीं
हालाँकि तस्वीर पूरी तरह आसान नहीं है। इंटरनेट की कमी, ऑनलाइन आवेदन में तकनीकी दिक़्क़तें और दस्तावेज़ों की तैयारी — ये सब पहाड़ के युवाओं के लिए मुश्किलें हैं। एक अभ्यर्थी ने कहा,
“गाँव से साइबर कैफ़े तक पहुँचने के लिए दो घंटे पैदल चलना पड़ता है। लेकिन नौकरी की आस हमें हर कदम उठाने पर मजबूर करती है।”
शिक्षा की असली तस्वीर
UKSSSC: उत्तराखंड के स्कूलों में लंबे समय से शिक्षकों की कमी महसूस की जा रही है। कई बार एक ही शिक्षक तीन-चार कक्षाओं का बोझ उठाता है। बच्चों की पढ़ाई अधूरी रह जाती है। इस भर्ती से उम्मीद है कि खाली क्लासरूम अब जीवंत हो सकेंगे।
एक बुज़ुर्ग ने हँसते हुए कहा,
“अगर हर क्लास में मास्टरजी मिल जाएँ, तो पहाड़ के बच्चे भी डॉक्टर-इंजीनियर क्यों नहीं बनेंगे?”
निष्कर्ष
UKSSSC की यह असिस्टेंट टीचर भर्ती सिर्फ़ नौकरी पाने का अवसर नहीं, बल्कि समाज में शिक्षा की असमानताओं को कम करने की कोशिश है। यह उन बच्चों की हँसी है जो अब कक्षा में शिक्षक देखेंगे। यह उन अभ्यर्थियों का सपना है, जिन्होंने बेरोज़गारी की लंबी रात झेली है।
परीक्षा और चयन की प्रक्रिया कठिन होगी, लेकिन उम्मीदों का यह कारवां यही कह रहा है —
“हर पहाड़ की चढ़ाई मुश्किल होती है, लेकिन मंज़िल तक वही पहुँचता है जो हिम्मत नहीं हारता।”




