Canara Bank: महाराष्ट्र के भंडारा जिले में एक ऐसा किस्सा सामने आया है जो सुनने में मानों किसी फिल्म जैसा लगे — लेकिन यह हकीकत है। Canara Bank की चिखला ब्रांच में 32 साल के असिस्टेंट मैनेजर मयूर नेपाले ने लगभग ₹1.58 करोड़ की बैंक रकम उसी शाखा से चुरा ली, जो उसकी अपनी नौकरी का घर थी।
यह एक साधारण बैंक डकैती नहीं थी — यह विश्वासघात की गांठ थी। मयूर ने योजना इतनी सोच-समझकर बनाई थी कि किसी को शक तक न हुआ। उसने सुरक्षा तंत्रों को बाईपास किया, कोठरी में तक़लीफ़ से पहुंचा और चैनल गेट तोड़ा — जैसे कि वह उसी शाखा का मालिक हो।
ऑनलाइन बेटिंग की लत ने बढ़ाई दरार

Canara Bank: जांच के दौरान पता चला कि मयूर सट्टेबाज़ी के चक्कर में काफी डूब चुका था। कथित तौर पर वह ऑनलाइन बेटिंग में हारकर ₹30 लाख से भी अधिक का कर्ज़ बना चुका था। उस कर्ज़ के साथ-साथ उसके कंधों पर अन्य लोन की ज़िम्मेदारी भी थी — पर्सनल लोन, कार लोन, पढ़ाई का कर्ज़… यह सब उसके लिए एक ऐसी जंजीर बन गया जिसे तोड़ने के लिए उसने खुद अपनी नौकरी को माध्यम बना लिया।
जब किसी के अंदर गहरी लत हो और भरोसे के साथ नौकरी हो, तब वह ऐसी रफ़्तार पकड़ सकता है — और मयूर ने वही किया। उसने बैंक को लूटने की एक ऐसी योजना बनाई कि पहली नज़र में हर बात बिल्कुल पर्फेक्ट लगी।
चोरी की योजना: मेहनत, धैर्य और नकली सुराख़
Canara Bank: मयूर ने चोरी की शुरुआत अँधेरी चाल से की। उसने पहले पुरानी चोरी की घटनाओं से प्रेरणा लेकर इंटरनेट पर ट्यूटोरियल देखे, फिर सुरक्षा कैमरों को डिस्कनेक्ट किया, कोठरी तक पहुँचने के रास्तों को मैप किया और डुप्लीकेट चाबियाँ बनाई। उसने अपने चेहरे को छुपाने के लिए कैप पहनी और अंदर चैनल गेट और शटर लॉक तोड़कर स्ट्रॉन्गरूम में داخل हुआ।
लगभग दो-घंटे की बेहद सावधानी भरी रणनीति के बाद उसने कोठरी से नकदी निकाली — और बिलकुल वैसे ही बाहर आया, जैसे अंदर गया था। यदि बात यहीं तक होती तो यह एक परफेक्ट अपराध होता, लेकिन स्कूटर ने उसका भरोसा मिट्टी में मिला दिया।
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स्कूटर ने दिलाई हार: CCTV ने खोला राज
मयूर चोरी के बाद अपने उसी स्कूटर पर वापस गया, उसके बैग में नकदी भरी थी — और यही स्कूटर CCTV कैमरा की नजर में आ गया। उसने बैग उठाया, अपने स्कूटर में डाला और वहां से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन कैमरा रिकॉर्डिंग ने उसकी पूरी कहानी दर्ज कर ली।
इतनी सावधानी के बाद भी, यह उसकी अपनी ही यातायात मशीन थी जिसने उसकी सारी पैंतरेबाज़ी को उजागर कर दिया। पुलिस ने रिकॉर्डिंग देखी, और अगले 24 घंटे में मयूर को गिरफ्तार कर लिया।
तलाशी और कबूलनामा: सच्चाई सामने
Canara Bank: पुलिस की तलाशी के दौरान मयूर के घर से ₹96.12 लाख नकद मिले। साथ ही, स्कूटर, बैंक डॉक्युमेंट्स और संबंधित अन्य सबूत जब्त किए गए। उसे कई आरोपों में घेरा गया — चोरी, भरोसे का उल्लंघन और सबूत नष्ट करने जैसे गंभीर आरोप।
मायूर ने अपने जुर्म की सफाई देते हुए स्वीकार किया कि उसने यह चोरी पिछली हार और कर्ज़ के दबाव के चलते की। उसने माना कि वह बैंक की शाखा में अपनी स्थिति का गलत इस्तेमाल कर गया।
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Canara Bank: निष्कर्ष- सिखने की ज़रूरत
मयूर की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि डर, लत और विश्वासघात मिलकर कितना बड़ा संकट खड़ा कर सकते हैं। यह घटना सिर्फ उन व्यक्तियों के लिए चेतावनी नहीं है जो कर्ज़ में डूबे हैं, बल्कि उन संस्थानों के लिए भी है जो भरोसा रखते हैं कि कर्मचारी ईमानदारी से काम करेंगे।
अगर Canara Bank और अन्य बैंक अपने सिस्टम्स में सुधार लाएं — बेहतर ऑडिटिंग, निगरानी और कर्मचारी सहायता — तो शायद भविष्य में इस तरह की करामाती घटनाओं को रोका जा सके।




