अहमदाबाद, 2 अक्टूबर 2025।
भारतीय गेंदबाज़ों के सामने वेस्टइंडीज़ की नई उम्मीद तेजनारायण चंद्रपॉल का संघर्ष जारी है। अहमदाबाद में खेले जा रहे पहले टेस्ट की शुरुआत में ही वे बिना खाता खोले पवेलियन लौट गए। तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद सिराज ने उन्हें शानदार गेंद पर आउट किया और टीम इंडिया ने कैरेबियाई पारी की कमर तोड़ दी।
पिता और बेटे की तुलना बनी चर्चा
क्रिकेट में अक्सर बेटों की तुलना उनके पिता से की जाती है, लेकिन चंद्रपॉल परिवार का यह मामला ज़रा अलग है। तेजनारायण के पिता शिवनारायण चंद्रपॉल वेस्टइंडीज़ क्रिकेट के दिग्गज रहे हैं। उन्होंने अपने करियर में 10,000 से ज़्यादा टेस्ट रन बनाए और टीम को कई मुश्किल हालात से बाहर निकाला। यही वजह है कि बेटे से भी वैसी ही उम्मीदें की जाती हैं। लेकिन अब तक के करियर में तेजनारायण उस मुक़ाम तक नहीं पहुँच पाए हैं।

आँकड़े बताते हैं कहानी
तेजनारायण चंद्रपॉल ने अब तक लगभग 10 टेस्ट मैच खेले हैं और करीब 560 रन बनाए हैं। इसमें उनका एक शतक और एक अर्धशतक शामिल है। बल्लेबाज़ी का औसत लगभग 33 के आसपास है। आँकड़े यह तो दिखाते हैं कि उनमें क्षमता है, लेकिन निरंतरता की कमी साफ़ नज़र आती है।
इसके उलट, पिता शिवनारायण चंद्रपॉल की गिनती उन बल्लेबाज़ों में होती है जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में टिककर खेलते थे। उनके नाम 30 से ज़्यादा टेस्ट शतक और दर्जनों यादगार पारियाँ दर्ज हैं। यही तुलना बेटे पर दबाव बढ़ा देती है।
भारतीय गेंदबाज़ों का दबदबा
अहमदाबाद टेस्ट की सुबह भारतीय गेंदबाज़ पूरी लय में दिखे। मोहम्मद सिराज ने स्विंग और लाइन-लेंथ से बल्लेबाज़ों को परेशान किया। जसप्रीत बुमराह ने दूसरे छोर से दबाव बनाए रखा। चंद्रपॉल जब क्रीज़ पर आए तो टीम को उनसे लंबी पारी की उम्मीद थी, लेकिन सिराज की गेंद उनके बल्ले का किनारा छूते हुए विकेटकीपर के हाथों में चली गई और वे 11 गेंदों में डक पर आउट हो गए।
तेजनारायण का संघर्ष
अब तक के टेस्ट करियर में तेजनारायण चंद्रपॉल ने लगभग 10 मैच खेले हैं और एक शतक जमाया है। उनकी बल्लेबाज़ी में धैर्य है, लेकिन भारतीय पिचों पर वही धैर्य कब तक काम आएगा, यह देखने वाली बात होगी। अहमदाबाद की पिच पर गेंदबाज़ों को मदद मिल रही है, और ऐसे में हर शॉट सोच-समझकर खेलना ज़रूरी है।
पिता से प्रेरणा लेने का समय
तेजनारायण चंद्रपॉल के लिए यह टेस्ट सीरीज़ बेहद अहम है। अगर वे भारतीय गेंदबाज़ों के सामने टिके और लंबी पारी खेली, तो आलोचनाएँ अपने आप शांत हो जाएँगी। पिता शिवनारायण की उपलब्धियाँ उन्हें यह याद दिलाने के लिए काफी हैं कि धैर्य और मेहनत से असंभव को भी हासिल किया जा सकता है।
फैंस और एक्सपर्ट्स की प्रतिक्रिया
चंद्रपॉल के आउट होते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कई प्रशंसकों ने उन्हें समय देने की अपील की और कहा कि भारतीय पिचों पर विदेशी बल्लेबाज़ों के लिए रन बनाना आसान नहीं होता। वहीं, कुछ पूर्व खिलाड़ियों का कहना है कि अगर तेजनारायण चंद्रपॉल को लंबे समय तक टीम में बने रहना है, तो उन्हें जल्दी ही बड़े स्कोर बनाने होंगे।
भारत बनाम वेस्टइंडीज़ पहला टेस्ट (अहमदाबाद)
| बिंदु / घटना | विवरण |
|---|---|
| तेजनारायण चंद्रपॉल का प्रदर्शन | 11 गेंदों में 0 रन (डक), मोहम्मद सिराज की गेंद पर विकेटकीपर को कैच |
| पिता की उपलब्धि | शिवनारायण चंद्रपॉल ने अपने करियर में 10,000+ टेस्ट रन बनाए थे |
| भारतीय गेंदबाज़ों का दबदबा | सिराज और बुमराह ने शुरुआती विकेट झटके, वेस्टइंडीज़ बैकफुट पर चला गया |
| फैंस की प्रतिक्रिया | कुछ ने कहा “समय दें”, तो कुछ ने “जल्दी साबित करना होगा” की सलाह दी |
| आगे की चुनौती | अगली पारियों में टिककर खेलने और पिता की छाया से बाहर पहचान बनाने का दबाव |
Also Read: IND vs WI टेस्ट: वेस्ट इंडीज़ के लिए पहचान की परीक्षा
निष्कर्ष
पहले टेस्ट में डक पर आउट होना निश्चित रूप से निराशाजनक है, लेकिन यह उनके करियर का अंत नहीं है। तेजनारायण चंद्रपॉल के पास अभी कई मौके हैं। आने वाली पारियाँ ही तय करेंगी कि वे अपने पिता की विरासत से आगे बढ़ पाएँगे या नहीं। फिलहाल इतना तय है कि सबकी नज़रें उनकी अगली पारी पर टिकी होंगी।




