Tata Motors: सोचिए कि आप एक बड़ी कंपनी के अंदर हैं और एक दिन सुनते हैं कि वह दो हिस्सों में बाँटने वाली है एक हिस्सा बस लक्सरी और इलेक्ट्रिक वाहनों का, और दूसरा हिस्सा भारी वाणिज्यिक वाहनों का। यह खबर जितनी अजीब लगती है, उतनी ही चुनौतियाँ और अवसर उसमें छिपे हैं। टाटा मोटर्स ने इसी दिशा में कदम बढ़ाया है, और अब यह खयाल जो मज़बूरियों और उम्मीदों से भरा है, शेयर बाजार और ऑटो उद्योग में हलचल पैदा कर चुका है।
हाल ही में टाटा मोटर्स ने ऐलान किया कि वह अपनी वाणिज्यिक वाहन (CV) और पैसेंजर + इलेक्ट्रिक वाहन (PV + EV) यूनिटों को अलग-अलग सूचीबद्ध करेगी। 14 अक्टूबर को वो तारीख होगी जब इस डिमर्जर की रिकॉर्ड डेट तय होगी। यानी उस दिन शेयरधारकों के खाते में एक नया CV यूनिट का शेयर आ जाएगा। इस नए परिदृश्य में, टाटा मोटर्स का नाम बदलकर Tata Motors Passenger Vehicles Ltd. (TMPV) रखा जाएगा, और नया CV हिस्सा TML Commercial Vehicles Ltd. (TMLCV) के नाम से जाना जाएगा।
JLR की निराशाजनक मजबूती और भविष्य की उम्मीद

जिस वजह से यह डिमर्जर और भी दिलचस्प है, वह है Jaguar Land Rover (JLR) की भूमिका। JLR टाटा के पास ऐसे समय में केंद्र में है, जब वह ऑटो उद्योग में ज़्यादा हिस्सेदारी और मार्जिन हासिल करना चाहता है। फाइनेंशियल वर्ष 2025 में JLR ने टाटा मोटर्स की PV बिक्री का 85% योगदान दिया और कंपनी की Ebitda का 90% हिस्सा JLR से आया।
लेकिन हालिया समय में JLR की चाल रफ़्तार से पीछे रही है। दूसरी तिमाही (Q2 FY26) में JLR की होलसेल यूनिट्स की संख्या 66,165 रही, जो पिछले साल की समान तिमाही से करीब 24.2% कम है। इसमें एक बड़ा कारण यूके की फैक्टरी पर साइबर हमला भी था, जिसने उत्पादन रुकवा दिया।
विश्लेषकों का कहना है कि इस निचले प्रदर्शन को देखते हुए, JLR की वर्तमान वैल्यूएशन इसके पुनरुद्धार की संभावना को कम आंका गया है। जब टाटा मोटर्स की कुल मार्केट कैप ₹2.6 ट्रिलियन है, और अगर हम CV, घरेलू PV यूनिट और अन्य हिस्सों को अलग करें, तो JLR का इम्प्लाइड मान लगभग ₹75,000 करोड़ निकलता है।
Iveco अधिग्रहण: टाटा की साहसिक चाल
डिमर्जर और JLR के पीछे, टाटा मोटर्स एक और बड़ी योजना को आगे बढ़ा रहा है — Iveco का अधिग्रहण। यह इटली की प्रसिद्ध वाणिज्यिक वाहन निर्माता कंपनी है। टाटा इसे लगभग €3.8 अरब की डील में खरीदने की ओर बढ़ रहा है।
Iveco अधिग्रहण का मतलब सिर्फ भूगोल का विस्तार नहीं है। इससे टाटा को यूरोपीय बाजारों में मजबूत पकड़ मिलेगी, और उसके CV ऑपरेशन को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाने में मदद मिलेगी। इस सौदे को अप्रैल 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
ऑनर्स का अनुमान है कि यह कदम टाटा को लागत, R&D, सप्लाई चेन और प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में अच्छी सुइंयजरी देगा। हालांकि, यह कदम चुनौतियों से भी भरा है दो अलग संस्कृतियों, उत्पादन संतुलन, लॉजिस्टिक और नियामक अनुमोदन की बाधाएं।
डिमर्जर से खुलने वाला अवसर
डिमर्जर का मकसद केवल दो भागों में बंटना नहीं है, बल्कि मूल्य का अनलॉकिंग है। निवेशकों को उम्मीद है कि अलग-अलग यूनिट्स को विश्लेषित करना आसान होगा और हर इकाई की असली कीमत को बाजार में परखना संभव होगा।
विश्लेषण की एक योजना यह है: अगर CV यूनिट को EV/Ebitda 15x पर मूल्यांकन दिया जाए, तो उसका मार्केट कैप लगभग ₹1.4 ट्रिलियन हो सकता है। वहीं घरेलू PV और अन्य हिस्सों को जोड़ने पर टाटा मोटर्स की कुल वैल्यू अभी से कहीं अधिक हो सकती है।
कुछ ब्रोकरेज फर्में सकारात्मक रुख अपनाई हैं, लेकिन कुछ विश्लेषक, जैसे Jefferies, JLR की कमजोर स्थिति और Iveco डील को लेकर सतर्क हैं, और उन्होंने “Reduce” रेटिंग जारी रखी है।
चुनौतियाँ जो अभी भी सामने हैं
इस पूरी योजना के बीच बड़ी चुनौतियाँ नज़र आती हैं। JLR को पूरी तरह पुनर्स्थापित करना आसान नहीं है। इसके मौजूदा संयंत्रों को ठीक करना, उत्पादन फिर से चालू करना और वो मार्केट मांग फिर खींचना आसान नहीं है। साइबर अटैक, कीमतों में उतार-चढ़ाव और वैश्विक अर्थव्यवस्था की अस्थिरता जैसे कारक इसके लिए बाधाएं हैं।
दूसरी ओर, Iveco को टाटा की संरचना में मिलाना, संचालन अलग संस्कृतियों में संतुलित करना, और नियामक मंज़ूरी हासिल करना बड़े कठिन काम हैं। अगर यह सफल हुआ, तो टाटा मोटर्स वैश्विक CV खेमे में एक मजबूत खिलाड़ी बन सकती है।
भावनात्मक पहलू और निवेशकों का नजरिया

कंपनी के भीतर यह बदलाव सिर्फ व्यापार रणनीति नहीं, बल्कि एक नयी उम्मीद है। निवेशकों की निगाहें अब टाटा से उस शक्ति को वापस मांग रही हैं, जिसने JLR खरीदी के समय दी थी। यह डिमर्जर और अधिग्रहण की कहानी उन लोगों की भी कहानी है, जिन्होंने टाटा मोटर्स को भारत के ऑटोमोबाइल गर्व के रूप में देखा है।
शेयरधारक यह सोच रहे हैं क्या अब उनके पास दो अलग-अलग कंपनियों की हिस्सेदारी होगी? क्या JLR की बेहतरीन कारों की दुनिया अब फिर से चमकेगी? और क्या टाटा CV खंड ग्लोबल स्तर पर पहचान बना पाएगा?
टाटा मोटर्स का यह कदम जितना साहसिक है, उतना ही जटिल है। डिमर्जर और Iveco अधिग्रहण की दिशा में यह रणनीति यदि सफल हुई, तो टाटा न सिर्फ भारत में बल्कि ग्लोबल ऑटो इंडस्ट्री में एक नई कहानी लिख सकती है। दूसरी ओर, अगर JLR की कमजोरियाँ और बाहरी चुनौतियाँ प्रबल रहीं, तो इन योजनाओं को असलियत में बदलना आसान नहीं होगा।
यह समय है रणनीति का, दृष्टिकोण का और धैर्य का। उन लोग जो टाटा का विश्वास करते रहे हैं, उन्हें अब इस परिवर्तन को न सिर्फ समझना है, बल्कि इसे नए अवसर की तरह देखने की ज़रूरत है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सार्वजनिक स्रोतों, विश्लेषणात्मक रिपोर्टों और समाचार लेखों पर आधारित है। भविष्य में टाटा मोटर्स की रणनीति, परिणाम और वित्तीय स्थिति बदल सकती है। निवेश या व्यापार निर्णय लेने से पहले आप भरोसेमंद वित्तीय सलाहकार या कंपनी की आधिकारिक जानकारी अवश्य देखें।




