Gen-Z पर प्रधानमंत्री की नज़र: Skyroot की उपलब्धि से उभरी नई पीढ़ी की चमक

Meenakshi Arya -

Published on: November 27, 2025

Skyroot नई दिल्ली—भारत में आजकल राजनीति, अर्थव्यवस्था या क्रिकेट की चर्चा जितनी सुनाई देती है, उतनी ही तेजी से एक और आवाज़ उभर रही है—तकनीक और अंतरिक्ष की दौड़ में युवा भारतीयों की गूंज। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की नई पीढ़ी, खासकर Gen-Z को खुलकर सराहा और एक उदाहरण के रूप में skyroot जैसे स्टार्ट-अप की सफलता को सामने रखा।

देश के इंजीनियर, डिज़ाइनर, कोड तैयार करने वाले युवा, और प्रयोगशालाओं में देर रात तक खड़े वैज्ञानिक—इन सबका जिक्र प्रधानमंत्री ने गर्व के साथ किया। उनका संदेश साफ था—अगर भारत को अंतरिक्ष में लंबी छलांग लगानी है, तो रास्ता अब उन्हीं युवाओं के जुनून से होकर जाता है जो विज्ञान को कागज़ पर नहीं, हाथों से गढ़ते हैं।

जब प्रधानमंत्री का संबोधन सिर्फ भाषण नहीं, एक संकेत बन गया

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि आज भारत की सफलता का असली इंजन नई पीढ़ी है। उनको देखकर अब यह भीतर से महसूस होता है कि देश सिर्फ सरकारी प्रयोगशालाओं पर निर्भर नहीं रहा। आज निजी क्षेत्र भी अंतरिक्ष तकनीक में अपनी पहचान बना रहा है, और Skyroot Aerospace जैसे नाम अब किसी विज्ञान पत्रिका की लाइन भर नहीं—बल्कि युवाओं के सपनों और संभावनाओं के प्रतीक बन चुके हैं।

skyroot का ज़िक्र सिर्फ इसलिए नहीं हुआ कि उन्होंने रॉकेट बनाया, बल्कि इसलिए क्योंकि उन्होंने यह साबित किया कि कम संसाधनों और अधिक हिम्मत के साथ भी दुनिया में जगह बनाई जा सकती है। हर उस छात्र के लिए जिसने कोई मॉडल रॉकेट बनाकर स्कूल की मेज जलाई होगी, Skyroot आज उम्मीद जैसा नाम है।

आख़िर क्यों Skyroot चर्चा में है?

क्योंकि यह कहानी शुरू होती है कुछ ऐसे युवा इंजीनियरों से जिन्होंने पारंपरिक रास्ते की जगह चुनौती चुनी। सरकारी दफ्तरों में नौकरी पाने की इच्छा छोड़कर रॉकेट बनाने का सपना उठाया। कोई बड़ा उद्योग घराना पीछे नहीं था, कोई भारी फंडिंग शुरुआत में नहीं थी—बस दिमाग में आग, और आँखों में सैटेलाइट।

आज वही टीम बड़े स्तर पर रॉकेट इंजीनियरिंग में उतर चुकी है। उनका निर्माण केंद्र, उनका परीक्षण परिसर, उनकी टीम—सब इस बात का संकेत हैं कि भारत का स्पेस सेक्टर तेजी से निजी योगदान को स्वीकार कर रहा है। प्रधानमंत्री की सराहना इस बदलाव को और मजबूत करती है।

PM Modi का संदेश—भारतीय युवा सिर्फ उपभोक्ता नहीं, निर्माता बनें

प्रधानमंत्री ने अपनी बात में कहा कि दुनिया प्रतिभा की भूखी है, और भारत के युवाओं में वह प्रतिभा भरी पड़ी है। फर्क सिर्फ इतना है कि अब मंच खुल रहा है। कभी अंतरिक्ष तकनीक तक केवल संस्थानों की पहुंच थी, आज वह आम इंजीनियरिंग ग्रेजुएट की भी सोच का हिस्सा है।

Gen-Z के पास तकनीक की समझ पहले से गहरी है—जो भी चीज़ दुनिया में बन रही है, उससे भारत का युवा पहले से सीख रहा है, उसे तोड़कर समझ रहा है, और उससे बेहतर संस्करण बनाने की कोशिश कर रहा है।

Skyroot का उदाहरण इस सोच का जीवंत रूप है। यही वजह है कि मोदी ने अपने संबोधन में इन युवाओं के काम को सिर्फ सराहा नहीं, उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दी।

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निष्कर्ष

यह लेख सिर्फ एक लॉन्च या भाषण की कहानी नहीं। यह उस पीढ़ी की यात्रा है जो अभी कॉलेज में है या पहली नौकरी पर, लेकिन दुनिया बदलने के सपने उसके बैग में हमेशा रहते हैं।
skyroot इस सफर का पहला कदम है, मंज़िल नहीं। असली मंज़िल वह दिन होगा जब भारत के रॉकेट सिर्फ देश के लिए नहीं, दुनिया के लिए उड़ान भरेंगे।

आज प्रधानमंत्री ने Gen-Z को आवाज़ दी। अब बारी युवाओं की है कि उस आवाज़ को दिशा दें।
देश को अब दर्शक नहीं चाहिए—निर्माता चाहिए। और लगता यही है कि नई पीढ़ी तैयार है।

Meenakshi Arya

मेरा नाम मीनाक्षी आर्या है। मैं एक अनुभवी कंटेंट क्रिएटर हूं और पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय हूं। वर्तमान में मैं The News Bullet के लिए टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य, यात्रा, शिक्षा और ऑटोमोबाइल्स जैसे विविध विषयों पर लेख लिख रही हूं।

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