भारत के इलेक्ट्रिक स्कूटर बाज़ार में अपनी तेज़ पहचाना बनाने वाली Ola Electric अब अपने आफ्टर-सेल्स नेटवर्क को लेकर गंभीर दिखाई दे रही है। पिछले कई महीनों से सर्विस देरी, पार्ट्स की अनुपलब्धता और अपॉइंटमेंट न मिलने की शिकायतों से घिरी कंपनी ने अब देशभर में 250-सदस्यीय एक विशेष टीम तैनात की है — जिसका उद्देश्य है लंबित सर्विस मामलों को प्राथमिकता के साथ सुलझाना और ग्राहकों का भरोसा वापस पाना।
यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब Ola Electric तेजी से बढ़ते ग्राहक आधार के साथ तालमेल बिठाने में संघर्ष कर रही थी। डिलीवरी बढ़ीं, मगर सर्विस इंफ्रास्ट्रक्चर उसी गति से नहीं बढ़ पाया। नतीजा — स्कूटर खरीदने वाले कई उपभोक्ताओं को छोटी-छोटी मरम्मत के लिए भी हफ्तों तक इंतजार करना पड़ा।
क्या बदलेगा इस नई “टास्कफोर्स” के आने से?

कंपनी के अनुसार, यह 250-सदस्यीय टीम एक तरह से “फायर-फाइटर्स” का काम करेगी।
इनका फोकस है—
- देशभर के सर्विस सेंटर्स में जमा लंबित अनुरोधों को तेजी से निपटाना
- बैटरी और मोटर संबंधी मरम्मत को प्राथमिकता देना
- स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता को सुचारु बनाना
- बड़े शहरों में सर्विस-स्लॉट की समस्या खत्म करना
दिलचस्प बात यह है कि टीम ने बेंगलुरु में काम की शुरुआत करते हुए कई हफ्तों से रुकी मरम्मत को लगभग साफ कर दिया है। अब अगले चरण में यह मॉडल अन्य प्रमुख शहरों में लागू किया जा रहा है।
Ola Electric की चुनौतीें: मशीन नहीं, भरोसा टूट रहा था
कंपनी के सामने असली मुश्किल तकनीक से ज़्यादा भरोसे की थी।
पिछले महीनों में ग्राहकों की शिकायतें लगातार बढ़ीं—
- सर्विस स्लॉट मिलने में हफ्तों का इंतजार
- स्कूटर कई दिनों तक सेंटर में पड़े रहने के बाद भी मरम्मत न होना
- जरूरी पार्ट्स का लगातार स्टॉक-आउट रहना
- ऐप पर सर्विस स्टेटस अपडेट न मिलना
EV सेक्टर में जहां कंपनियां ग्राहक अनुभव को प्राथमिकता दे रही हैं, Ola Electric को इन कारणों से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
सोशल मीडिया पर भी कई ग्राहकों ने वीडियो व पोस्ट साझा किए जिनसे यह मुद्दा और उभरकर सामने आया।
कंपनी की नई रणनीति: डिजिटल + ऑन-ग्राउंड सुधार
Ola Electric ने सिर्फ टास्कफोर्स बनाकर ही नहीं, बल्कि अपनी पूरी सर्विस रणनीति को दो स्तरों पर अपडेट किया है—
Genuine Parts Store
अब यूज़र ऐप के माध्यम से सीधे असली पार्ट्स खरीद सकते हैं। इससे सर्विस सेंटरों पर निर्भरता कम होगी।
Hyperservice Initiative
कंपनी का दावा है कि अब सर्विस अनुरोधों को “T+1” समयसीमा में पूरा करने का लक्ष्य है, यानी आज शिकायत दर्ज हुई तो कल समाधान मिलने की कोशिश की जाएगी।
मैदान पर नेतृत्व की मौजूदगी
संस्थापक भाविश अग्रवाल खुद भी इन सुधारों की निगरानी कर रहे हैं और सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर दैनिक अपडेट दे रहे हैं — जो कंपनी की गंभीरता का संकेत माना जा रहा है।
यदि यह मॉडल कामयाब हुआ—
तो उपभोत्ताओं के लिए फायदे साफ हैं:
- लंबी प्रतीक्षा अवधि ख़त्म होगी
- पार्ट्स की कमी का झंझट कम होगा
- महंगी मरम्मतों में भी समय पर सहायता मिलेगी
- EV खरीदने वाले नए ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि Ola Electric अगर यह गति बनाए रखती है, तो EV सेक्टर में उसकी पकड़ और मजबूत होगी।
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निष्कर्ष
Ola Electric के लिए यह सुधार सिर्फ एक सर्विस-अपग्रेड नहीं, बल्कि अपनी विश्वसनीयता वापस पाने की लड़ाई है।
250-सदस्यीय रैपिड-रिस्पॉन्स टीम इस बात का संकेत है कि कंपनी अपनी कमियों को स्वीकार कर उन्हें ठीक करने के लिए तैयार है।
हालाँकि, असली परीक्षा आने वाले महीनों में होगी—
क्या यह सुधार लगातार जारी रहेंगे?
क्या ग्राहक वही बदलाव महसूस कर पाएँगे जिसकी उन्हें उम्मीद है?
अगर कंपनी इस दिशा में निरंतरता और पारदर्शिता बनाए रखती है, तो यह कदम Ola Electric के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।




