भुवनेश्वर। ओडिशा में अपराधों की निगरानी और जांच के लिए लागू क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (CCTNS) में गंभीर खामियों का खुलासा हुआ है। यह जानकारी हाल ही में कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) की रिपोर्ट में सामने आई। रिपोर्ट में बताया गया है कि डेटा एंट्री में गड़बड़ी, FIR अपलोड करने में देरी, अधूरी रिकॉर्डिंग और पुलिस थानों के बीच समन्वय की कमी जैसी समस्याएँ पाई गई हैं। इन खामियों का असर न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर पड़ा है, बल्कि नागरिकों के विश्वास पर भी सवाल खड़ा करता है।
CCTNS में सामने आई प्रमुख खामियाँ

CCTNS का उद्देश्य पुलिस थानों में अपराधों की रिपोर्टिंग, जांच और अभियोजन की प्रक्रियाओं को डिजिटलीकरण के माध्यम से पारदर्शी और प्रभावी बनाना था। लेकिन CAG की रिपोर्ट में कई गंभीर समस्याएँ सामने आईं:
- लॉगिन क्रेडेंशियल्स का दुरुपयोग: पुलिस अधिकारी अपने लॉगिन क्रेडेंशियल्स साझा कर रहे थे, जिससे अनधिकृत लोग सिस्टम तक पहुँच पा रहे थे।
- चार्जशीट तैयार करने में अनियमितता: 2018 से 2023 के बीच 2,080 मामलों में चार्जशीट ऐसे अधिकारियों द्वारा तैयार की गई, जो जांच अधिकारी नहीं थे।
- FIR और अन्य दस्तावेजों का अनुचित क्रम: कई मामलों में FIRs को जनरल डायरी (GD) एंट्री से पहले दर्ज किया गया और गिरफ्तारी/जब्ती की रिपोर्ट FIR से पहले अपलोड की गई।
- गुमशुदा बच्चों की रिपोर्टिंग में खामियाँ: 5,566 गुमशुदा बच्चों की शिकायतें बिना आवश्यक FIR दर्ज किए सिस्टम में डाली गई।
- गैर-संज्ञेय मामलों का रिकॉर्ड न होना: 29 पुलिस थानों ने 9,642 गैर-संज्ञेय मामलों को CCTNS में नहीं डाला।
- संवेदनशील जानकारी का खुलासा: 1,631 मामलों में महिला पीड़िताओं और नाबालिग अपराधियों की संवेदनशील जानकारी नागरिक पोर्टल पर प्रकाशित हुई।
परियोजना के कार्यान्वयन में कमियाँ
CCTNS परियोजना की शुरुआत 2013 में हुई थी और मार्च 2023 तक इसके लिए ₹176.16 करोड़ खर्च किए गए। इसके बावजूद कार्यान्वयन में कई खामियाँ पाई गईं:
- निविदा प्रक्रिया में अनियमितताएँ, जिससे चयनित सेवा प्रदाता को अनुचित लाभ मिला।
- पुराने अपराध रिकॉर्ड डिजिटलीकरण का कार्य SCRB ने अनुबंध से अलग तरीके से पूरा किया।
- 7.44 लाख FIRs में से केवल 1,808 केस का कोर्ट डिस्पोजल मेमो दर्ज किया गया।
- स्थानीय सर्वर और केंद्रीय सर्वर के बीच डेटा सिंक्रोनाइजेशन में कमी।
CAG की सिफारिशें
CAG ने ओडिशा सरकार को निम्नलिखित सुधारात्मक कदम उठाने की सलाह दी है:
- लॉगिन क्रेडेंशियल्स की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- केवल नामित जांच अधिकारी ही चार्जशीट तैयार करें।
- संवेदनशील जानकारी के सार्वजनिक प्रकटीकरण को रोकना।
- FIR, GD एंट्री, गिरफ्तारी और जब्ती की रिपोर्टिंग में अनुशासन और समयबद्धता।
- निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता।
- डेटा सिंक्रोनाइजेशन की प्रक्रिया को सुधारना।
| मुद्दा | विवरण |
|---|---|
| FIR अपलोड में देरी | कई थानों में FIR समय पर सिस्टम में दर्ज नहीं की गईं। |
| डेटा एंट्री में गड़बड़ी | अपराध और आरोपी की जानकारी अधूरी या गलत पाई गई। |
| संवेदनशील जानकारी का खुलासा | कुछ थानों से जनता के लिए खुली हुई जानकारी में गोपनीय डेटा मिला। |
| तकनीकी समन्वय की कमी | कई पुलिस थाने CCTNS से पूरी तरह से जुड़े नहीं पाए गए। |
| CAG की सिफारिशें | लॉगिन सुरक्षा बढ़ाने और रियल-टाइम डेटा अपलोड सुनिश्चित करने पर जोर। |
निष्कर्ष
CAG की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ओडिशा के CCTNS में गंभीर खामियाँ हैं, जो अपराध ट्रैकिंग और जांच की पारदर्शिता को प्रभावित कर रही हैं। यदि इन खामियों को शीघ्र और प्रभावी तरीके से संबोधित नहीं किया गया, तो यह नागरिकों के विश्वास को कमजोर कर सकता है और न्याय प्रणाली की दक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगा सकता है।
सरकार को अब CAG की सिफारिशों पर गंभीरता से विचार करना और तत्काल सुधारात्मक कदम उठाना जरूरी है। सही समय पर सुधार किए जाने पर ही CCTNS का उद्देश्य—अपराधों की प्रभावी ट्रैकिंग और पारदर्शी न्याय—पूरी तरह से सफल हो सकता है। यदि इन खामियों को तुरंत और प्रभावी ढंग से नहीं सुधारा गया, तो यह नागरिकों




