Modi: जिसने भारतियों को बड़ा सोचने की ताक़त दी

Meenakshi Arya -

Published on: September 18, 2025

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नई दिल्ली — नरेंद्र Modi का नाम आज सिर्फ एक प्रधानमंत्री तक सीमित नहीं है। उनकी राजनीति और नेतृत्व की कहानी इस बात की मिसाल है कि कैसे कोई व्यक्ति पूरे देश की सोच को बदल सकता है। अगर 2014 के भारत और आज के भारत की तुलना करें, तो फर्क साफ नज़र आता है। उस दौर में लोगों के बीच एक अनकहा डर था—“क्या हम कर पाएंगे?” जबकि आज माहौल अलग है, लोग पूछते हैं—“कब करेंगे और कैसे करेंगे?”

शुरुआत और बड़े फैसले

Modi जब पहली बार प्रधानमंत्री बने तो देश कई समस्याओं से जूझ रहा था। भ्रष्टाचार के आरोप, अव्यवस्थित सिस्टम, बेरोज़गारी और धीमी अर्थव्यवस्था से जनता परेशान थी। मोदी ने इन मुद्दों पर सीधे चोट की। उन्होंने सफाई अभियान से लेकर डिजिटल इंडिया और जन धन योजना जैसे कदमों के जरिए यह जताया कि बदलाव सिर्फ नारों से नहीं, बल्कि जमीनी कार्रवाई से होता है।

‘मेक इन इंडिया’ के जरिये मोदी ने यह संदेश दिया कि भारत दुनिया का कारखाना बन सकता है। वहीं ‘स्वच्छ भारत’ ने लोगों की सोच में यह विश्वास भरा कि समाज की ज़िम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं, हर नागरिक की भी है।

गाँव से लेकर शहर तक असर

Modi की नीतियों का असर सिर्फ बड़े शहरों में नहीं, बल्कि गांवों तक दिखा। बिजली और सड़क की सुविधा, गैस कनेक्शन, शौचालय और बैंकिंग सेवाओं ने गांव के लोगों को भी मुख्यधारा का हिस्सा बना दिया। ग्रामीण परिवारों ने महसूस किया कि उनका भी इस देश की कहानी में अहम योगदान है।

इस बदलाव ने देशवासियों के आत्मविश्वास को नई ऊँचाई दी। युवा अब सिर्फ नौकरी खोजने वाले नहीं रहे, बल्कि उद्यमी और जोखिम लेने वाले भी बनने लगे हैं। गांव का किसान अपनी मेहनत को बड़े बाजार से जोड़ने का सपना देखने लगा है। छोटे शहरों के बच्चे भी अब बड़ी कंपनियों या अंतरिक्ष संस्थानों में काम करने की हिम्मत जुटा रहे हैं।

आलोचनाएँ और चुनौतियाँ

हालांकि, यह भी सच है कि Modi की यात्रा आसान नहीं रही। उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। कई योजनाएँ समय पर पूरी नहीं हो सकीं, बेरोज़गारी का मुद्दा अभी भी बड़ा है और स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाओं में सुधार की गुंजाइश बाकी है। आलोचक कहते हैं कि बड़े वादे ज़रूरी हैं, लेकिन उनके धरातल पर उतरने की रफ्तार तेज होनी चाहिए।

इसके बावजूद, एक बात माननी होगी कि Modi ने लोगों की मानसिकता बदली है। जनता अब यह सोचने लगी है कि भारत को सिर्फ दूसरों की नकल नहीं करनी, बल्कि खुद को दुनिया में एक ताक़त के रूप में खड़ा करना है।

तीसरी बार की वापसी

2024 के चुनावों में तीसरी बार प्रधानमंत्री बने मोदी ने यह साबित कर दिया कि जनता ने उनकी सोच पर भरोसा किया है। लगातार तीन कार्यकाल किसी भी नेता के लिए आसान नहीं होता। यह भरोसा सिर्फ सरकार की योजनाओं से नहीं, बल्कि उस सोच से जुड़ा है जो उन्होंने आम आदमी के दिल में जगाई है—बड़ा सोचो, बड़ा करो।

निष्कर्ष

नरेंद्र Modi की राजनीतिक यात्रा सिर्फ सत्ता तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह आम भारतीय की सोच में बदलाव की कहानी है। उन्होंने लोगों को यह विश्वास दिलाया कि भारत केवल अपने हालात से समझौता करने वाला देश नहीं है, बल्कि बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने की ताक़त रखने वाला राष्ट्र है। चुनौतियाँ अभी भी कम नहीं हैं—बेरोज़गारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और असमानता जैसे मुद्दे अपनी जगह खड़े हैं। लेकिन सबसे अहम बदलाव यह है कि अब भारत की जनता “क्या हम कर पाएंगे?” नहीं पूछती, बल्कि कहती है—“हम कर सकते हैं।” यही बदलाव Modi की सबसे बड़ी उपलब्धि है और यही उनकी असली विरासत भी।

आज जब एक छोटा दुकानदार, गांव की बेटी या कॉलेज का छात्र कहता है कि “मैं बड़ा कर सकता हूँ”, तो उसमें मोदी के नेतृत्व की झलक दिखती है। यही उनकी असली विरासत है—एक ऐसा भारत जिसने छोटे सपनों से निकलकर बड़े सपने देखना सीख लिया है।

Meenakshi Arya

मेरा नाम मीनाक्षी आर्या है। मैं एक अनुभवी कंटेंट क्रिएटर हूं और पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय हूं। वर्तमान में मैं The News Bullet के लिए टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य, यात्रा, शिक्षा और ऑटोमोबाइल्स जैसे विविध विषयों पर लेख लिख रही हूं।

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