Maalik: हर बार जब राजकुमार राव स्क्रीन पर आते हैं, दर्शक उनसे कुछ अलग और दमदार की उम्मीद करते हैं। इस बार फिल्म Maalik में उन्होंने एक ऐसा किरदार निभाया है जो अब तक उनकी छवि से बिल्कुल अलग है मजबूत शरीर, हिंसा से लथपथ चेहरा और एक ऐसा एटीट्यूड जो खुद को ‘मालिक’ कहने में संकोच नहीं करता। लेकिन क्या यह परिवर्तन दर्शकों के मन में अपनी जगह बना पाया? यही इस लेख में जानने की कोशिश करेंगे।
दीपक की कहानी: खेतों से गैंगस्टर बनने की राह

फिल्म की कहानी इलाहाबाद की पृष्ठभूमि में 1990 से 1998 के बीच की है, जहां दीपक नाम का युवक, जो एक किसान का बेटा है, अपने आत्मसम्मान और परिवार की इज्जत के लिए अपराध की दुनिया में कदम रखता है। उसका दोस्त बड़ौना उसके साथ एक ऐसा गैंग खड़ा करता है जिससे पुलिस तक डरने लगती है। लेकिन धीरे-धीरे दीपक का यह सफर एक ऐसे किरदार में बदलता है, जो अपराध और क्रूरता की हदें पार कर जाता है।
जब नायक और खलनायक का फर्क मिट जाए
फिल्म में दीपक और उसके विरोधी प्रबुद्ध पुलिस अफसर प्रभु (प्रसेनजीत चटर्जी) के बीच टकराव दिखाया गया है। लेकिन निर्देशक पुलकित और लेखिका ज्योत्सना नाथ दोनों किरदारों को इतनी समान हिंसा और सत्ता की भूख से भर देते हैं कि दर्शक तय नहीं कर पाते कि असली ‘विलेन’ कौन है। यह द्वंद्व दिलचस्प हो सकता था, अगर स्क्रिप्ट में गहराई होती।
राजकुमार राव का अभिनय: मेहनत तो दिखती है, असर नहीं
राजकुमार राव का गैंगस्टर अवतार एक नया अनुभव जरूर है, लेकिन उसमें वो आत्मा नहीं दिखती जो उनके बाकी किरदारों में रहती है। कई बार ऐसा लगता है कि वे किरदार को निभा तो रहे हैं, लेकिन उसमें पूरी तरह डूब नहीं पाए हैं। इसके विपरीत, स्वानंद किरकिरे द्वारा निभाया गया बल्हर का किरदार, जो तीन तरफा चालें चलता है, ज्यादा जीवंत और यादगार बन जाता है।
तकनीकी पक्ष है मजबूत, लेकिन कहानी में नयापन नहीं
Maalik की सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग कमाल की है। धुंध, स्लो मोशन एंट्री और तेज़ कैमरा मूवमेंट इसे एक विजुअल ट्रीट बना देते हैं। लेकिन कहानी में कुछ ऐसा नया नहीं मिलता जो दर्शकों को पहले न देखने को मिला हो। दीपक की यात्रा एक आम स्टूडेंट से लेकर एक सुपरह्यूमन डॉन तक की है, जिसमें गोलियां चलती हैं, लोग मरते हैं और अंत में सब कुछ फिर से वैसा ही लगता है जैसा कई पुरानी फिल्मों में देखा गया है।
क्या देखनी चाहिए Maalik

अगर आप सिर्फ एक्शन, तेज़ डायलॉग और तेज़ कैमरा मूवमेंट देखना चाहते हैं तो मालिक एक बार देखा जा सकता है। लेकिन अगर आप कहानी में कुछ नया, किरदारों में गहराई और अभिनय में आत्मा ढूंढते हैं, तो यह फिल्म आपको अधूरा सा महसूस करवा सकती है।
Maalik एक खूबसूरत पैकेजिंग के साथ पेश की गई जानी-पहचानी कहानी है। इसमें कुछ बेहतरीन तकनीकी काम जरूर है, लेकिन कंटेंट के स्तर पर यह फिल्म उन दर्शकों को निराश कर सकती है जो कुछ नया और ठोस ढूंढ रहे हैं। फिर भी, स्वानंद किरकिरे जैसे कलाकारों की परफॉर्मेंस इस फिल्म को एक हद तक संभालने में सफल होती है।
अस्वीकरण: यह लेख केवल फिल्म समीक्षा के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई राय लेखक के विचार हैं और इसका किसी व्यक्ति, संस्था या फिल्म निर्माता से कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं है।