JugnuMa: फिल्में सिर्फ मनोरंजन का ज़रिया नहीं होतीं, कभी-कभी वे हमें सोचने, महसूस करने और ठहर कर ज़िंदगी को देखने का मौका भी देती हैं। “JugnuMa: द फेबल” ऐसी ही एक फिल्म है, जो आपको अपने सधे हुए अभिनय और गहराई भरे नैरेटिव से भीतर तक छू जाती है। इस फिल्म में मनोज बाजपेयी ने ऐसी परफॉर्मेंस दी है जिसे आसानी से उनके करियर की सबसे बेहतरीन अदाकारी में गिना जाएगा।
कहानी जो दिल और दिमाग दोनों को छू लेती है

यह कहानी हिमालय की वादियों से शुरू होती है, जहाँ शांति और रहस्य दोनों का संगम है। मनोज बाजपेयी का किरदार देव, अपने परिवार और बागानों के बीच एक सुकून भरी ज़िंदगी जी रहा होता है। लेकिन जैसे ही उसके बागानों में रहस्यमयी आग लगती है, उसकी दुनिया बिखरने लगती है। धीरे-धीरे यह सफर सिर्फ एक इंसान का नहीं रह जाता, बल्कि ज़िंदगी के अर्थ और अस्तित्व की खोज में बदल जाता है।
मनोज बाजपेयी का अभिनय दिल जीत लेने वाला
इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत मनोज बाजपेयी की एक्टिंग है। उन्होंने देव के किरदार में ऐसा दर्द, मजबूती और उलझन दिखाई है कि दर्शक खुद को उस हालात में महसूस करने लगता है। कहीं उनकी खामोशी बहुत कुछ कह जाती है, तो कहीं उनकी आँखों का दर्द पूरे सीन को गहराई से भर देता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि “JugnuMa” उनकी परफॉर्मेंस की लिस्ट में सबसे ऊपर दर्ज हो गई है।
निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी कविता जैसी खूबसूरती
राम रेड्डी का निर्देशन इस फिल्म को एक अलग ही आयाम देता है। हर फ्रेम को इतनी खूबसूरती और धैर्य से गढ़ा गया है कि लगता है आप एक जीवंत पेंटिंग देख रहे हों। कैमरे का काम भी लाजवाब है, जो पहाड़ों, रिश्तों और भावनाओं को इतने बारीक तरीके से दिखाता है कि दर्शक मंत्रमुग्ध रह जाता है।
बाकी कलाकारों का योगदान
फिल्म में प्रियंका बोस, दीपक डोबरियाल और अन्य कलाकारों ने भी अपने-अपने किरदारों से गहराई जोड़ी है। सभी का अभिनय इतना सहज है कि कहानी और भी ज़्यादा वास्तविक लगती है। खासकर दीपक डोबरियाल का किरदार दर्शकों के दिल में छाप छोड़ जाता है।
एक अनुभव, सिर्फ फिल्म नहीं

“JugnuMa: द फेबल” सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक अनुभव है। यह उन दर्शकों के लिए बनी है जो सिनेमा को कला के रूप में महसूस करना चाहते हैं। यह फिल्म आपकी सोच को झकझोरती है और खत्म होने के बाद भी लंबे समय तक दिलो-दिमाग में बस जाती है।
अगर आप सिर्फ मसाला एंटरटेनमेंट देखने के शौकीन हैं, तो शायद यह फिल्म आपके लिए न हो। लेकिन अगर आप सिनेमा की असली खूबसूरती को महसूस करना चाहते हैं, तो “जुगनूमा: द फेबल” आपके लिए एक यादगार सफर साबित होगी।
डिस्क्लेमर: यह रिव्यू पूरी तरह लेखक की निजी समझ और भावनाओं पर आधारित है। पाठकों की राय अलग हो सकती है।