नई दिल्ली। भारत की प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां, जैसे IndianOil, ओएनजीसी विदेश (OVL) और भारत पेट्रोलियम (BPCL), रूस में किए गए अपने निवेश से अर्जित लाभांश को वर्षों से भारत नहीं ला पा रही हैं। अनुमान है कि कुल लगभग 1.4 अरब डॉलर का लाभांश रूसी बैंकों में फंसा हुआ है।
यह समस्या विशेष रूप से तब उत्पन्न हुई, जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ और रूस पर पश्चिमी देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। इन प्रतिबंधों के कारण अंतरराष्ट्रीय भुगतान चैनल प्रभावित हुए और भारतीय कंपनियों के लिए रूस से लाभांश की राशि को भारत भेजना बेहद मुश्किल हो गया।
क्यों फंसी है यह रकम?

IndianOil और अन्य कंपनियों ने रूस की प्रमुख तेल और गैस परियोजनाओं में निवेश किया है। इनमें सखालिन-1 और वांकोर जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं से नियमित रूप से लाभांश आता है, जो अब रूसी बैंकों में जमा है।
लेकिन, पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण:
- डॉलर और यूरो जैसे अंतरराष्ट्रीय भुगतान चैनलों का उपयोग मुश्किल हो गया।
- रूसी बैंक ट्रांजैक्शनों को सीमित कर रहे हैं।
- निवेश वापसी के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाशने की जरूरत है।
इसका असर सीधे IndianOil और अन्य कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन पर पड़ता है। भारत की सबसे बड़ी तेल कंपनी IndianOil के लिए यह स्थिति और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी परियोजनाओं से भारत की ऊर्जा सुरक्षा जुड़ी हुई है।
IndianOil की स्थिति
IndianOil रूस के वांकोर और तास-युर्याख परियोजनाओं में हिस्सेदारी रखता है। अनुमान है कि इन परियोजनाओं से लगभग 1 अरब डॉलर का लाभांश फंसा हुआ है।
IndianOil का यह निवेश भारत की तेल जरूरतों और ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। फंसी हुई राशि के कारण कंपनी को वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ सकता है और भविष्य की परियोजनाओं पर असर पड़ सकता है।
समाधान के प्रयास
भारतीय सरकार और कंपनियां मिलकर इस समस्या का हल खोजने में लगी हैं। कुछ संभावित उपाय हैं:
- अटके हुए लाभांश को द्विपक्षीय व्यापार या व्यापारिक लेनदेन के माध्यम से भारत में इस्तेमाल करना।
- वैकल्पिक भुगतान चैनलों के जरिए रकम का हस्तांतरण।
- रूसी और भारतीय सरकार के बीच संधि या समझौता कर निवेश वापसी का मार्ग तैयार करना।
हालांकि, अभी तक कोई ठोस और तुरंत लागू होने वाला समाधान सामने नहीं आया है।
भविष्य की राह
- IndianOil और अन्य कंपनियों को रूस में निवेश से मिलने वाले लाभांश को सुरक्षित और प्रभावी तरीके से भारत लाने के लिए रणनीतिक कदम उठाने होंगे।
- सरकार और कंपनियों के बीच बेहतर समन्वय और कूटनीतिक प्रयास जरूरी हैं।
- इस स्थिति से सीख लेकर भविष्य में ऐसे अंतरराष्ट्रीय निवेश में जोखिम प्रबंधन और वैकल्पिक भुगतान मार्ग तैयार करने की आवश्यकता है।
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निष्कर्ष
रूस में फंसे हुए IndianOil और अन्य भारतीय तेल कंपनियों के लगभग 1.4 अरब डॉलर का लाभांश एक गंभीर वित्तीय चुनौती है। यह समस्या न केवल कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन को प्रभावित कर रही है, बल्कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा और भविष्य की परियोजनाओं पर भी असर डाल सकती है।
IndianOil और अन्य कंपनियां वर्तमान में विभिन्न उपायों और वैकल्पिक रास्तों की तलाश में हैं, ताकि यह राशि सुरक्षित रूप से भारत वापस लाई जा सके। हालांकि, समाधान अभी लंबी प्रक्रिया का हिस्सा है और इसके लिए सरकार और कंपनियों के बीच सतत प्रयासों की आवश्यकता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में भारत और रूस के बीच कैसे समझौते और नए भुगतान चैनल विकसित किए जाते हैं, जिससे निवेशकों और उपभोक्ताओं की चिंताओं को दूर किया जा सके। इंडियन ऑयल और अन्य कंपनियां इस राशि को वापस लाने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार कर रही हैं। हालांकि, अभी तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है। इसलिए, यह देखना होगा कि भविष्य में इस समस्या का समाधान कैसे होता है और भारतीय कंपनियां अपनी वित्तीय स्थिति को कैसे मजबूत करती हैं।




