India US Trade Deal: कठिन बातचीत के बीच भारत ने दिया अब तक का ‘सबसे बेहतर प्रस्ताव’

Meenakshi Arya -

Published on: December 11, 2025

India US Trade Deal: नई दिल्ली — भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता ने इस हफ्ते एक नया मोड़ ले लिया है। अमेरिकी प्रतिनिधियों ने स्वीकार किया है कि भारत ने जो प्रस्ताव अभी पेश किए हैं, वे अब तक अमेरिका को मिले “सबसे बेहतरीन ऑफर्स” में से हैं। इसके बावजूद, India US trade deal को अंतिम रूप देने में कई जटिल मुद्दे अभी भी अटके हुए हैं, खासकर कृषि और डेयरी उत्पादों पर आपसी मतभेद।

दिल्ली में तेजी से आगे बढ़ीं बैठकें

India US Trade Deal: पिछले कुछ दिनों में दिल्ली में दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी आमने-सामने बैठे। बातचीत का माहौल सकारात्मक रहा, लेकिन यह भी साफ दिखा कि यह कोई जल्दबाजी में होने वाला समझौता नहीं है। अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि और डेयरी सेक्टर में बाज़ार को अधिक खुला करे, जबकि भारत इस बात पर अडिग है कि छोटे किसानों और ग्रामीण आय को किसी भी कीमत पर जोखिम में नहीं डाला जा सकता।

अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि ने साफ कहा कि भारत एक “कठिन पार्टनर” है — लेकिन यह टिप्पणी आलोचना कम और स्वीकार्यता ज्यादा लग रही थी। उनकी बातों से यह भी झलकता है कि अमेरिका भारत के साथ बड़े और संतुलित समझौते को लेकर गंभीर है।

सबसे बड़ा पेंच: कृषि और डेयरी

India US trade deal के मार्ग में सबसे बड़ा अवरोध कृषि से जुड़े नियम हैं।
भारत की चिंता बिल्कुल सीधी है — अगर कृषि और डेयरी बाज़ार पूरी तरह खुला हुआ तो स्थानीय किसान बड़े देशों की प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकते हैं। इसी कारण भारत ने कई कृषि और डेयरी उत्पादों के आयात को लेकर कड़े मानक तय कर रखे हैं।

दूसरी ओर अमेरिका इन उत्पादों को भारत में बड़ा बाज़ार मानता है और चाहता है कि निर्यात में आसानी हो। हालांकि दोनों पक्ष समाधान की तलाश कर रहे हैं और कुछ मुद्दों पर संतुलित रास्ता निकाला जा सकता है।

Also Read: India Post ने फिर शुरू की अमेरिका को ‘फराल’ डिलीवरी: टैरिफ संकट के बाद घर-घर में लौटी दिवाली की मिठास

अमेरिका की रणनीति और भारत का बढ़ता प्रभाव

अमेरिका के लिए यह व्यापार समझौता केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक भी है। चीन जैसे बड़े बाजारों में लगातार तनाव और शुल्क बाधाओं के कारण अमेरिका वैकल्पिक बाज़ार ढूँढ रहा है। इसी कड़ी में भारत एक मजबूत विकल्प की तरह उभर रहा है।

भारत के लिए यह सौदा अपनी निर्यात क्षमता बढ़ाने और हाई-टेक व मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अधिक अवसर पाने का रास्ता बन सकता है। भारत कई क्षेत्रों में अमेरिकी बाजार तक अधिक पहुंच चाहता है, खासकर टेक, फैब्रिकेटेड मेटल्स और फार्मा में।

बिलेटरल ट्रेड का लक्ष्य: 500 अरब डॉलर

दोनों देशों ने पहले ही यह लक्ष्य रखा है कि आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुँचना चाहिए। फिलहाल यह लगभग 190 अरब डॉलर के आसपास है। ऐसे में बड़ा व्यापार समझौता दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए लाभदायक साबित हो सकता है।

इसके साथ ही भारत अमेरिकी टैरिफों को लेकर भी राहत चाहता है ताकि उसके निर्यातकों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बेहतर स्थिति मिले।

बातचीत कठिन, लेकिन माहौल सकारात्मक

कुल मिलाकर, India US trade deal ऐसे मोड़ पर पहुंच चुका है जहाँ दोनों पक्ष समझौते को लेकर गंभीर हैं, लेकिन कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सहमति बनाना सरल नहीं होगा।
फिर भी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि दोनों देशों के रिश्ते पिछले वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं — और यही कारण है कि उम्मीदें अभी भी बरकरार हैं।

Also Read: India Post का नया DHRUVA फ्रेमवर्क: देश में एड्रेसिंग सिस्टम को मिलने वाली है नई पहचान

India US Trade Deal निष्कर्ष

India US trade deal एक ऐसा समझौता साबित हो सकता है जो आने वाले वर्षों में दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नई दिशा दे। दबाव भी है, मतभेद भी हैं, लेकिन बातचीत में जो ‘सबसे बेहतर प्रस्ताव’ अमेरिका ने स्वीकार किया है, वह यह संकेत देता है कि भारत संतुलन के साथ आगे बढ़ना चाहता है — अपनी घरेलू जरूरतों का ध्यान रखते हुए और वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति मजबूत करते हुए।

यह सौदा भले ही आसान न हो, लेकिन इसके सफल होने की संभावना अब पहले से कहीं अधिक दिख रही है।

Meenakshi Arya

मेरा नाम मीनाक्षी आर्या है। मैं एक अनुभवी कंटेंट क्रिएटर हूं और पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय हूं। वर्तमान में मैं The News Bullet के लिए टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य, यात्रा, शिक्षा और ऑटोमोबाइल्स जैसे विविध विषयों पर लेख लिख रही हूं।

Leave a Comment