कानपुर शहर में बीते दिनों बरअवाफत (ईद-मिलाद-उन-नबी) के मौके पर एक साधारण-सा बोर्ड लगाया गया। उस पर लिखा था— “I Love Mohammad”। यह एक छोटा-सा संदेश था, जो मोहम्मद साहब के प्रति श्रद्धा और मोहब्बत जताने के लिए लगाया गया था। लेकिन कुछ ही घंटों में यह बोर्ड विवाद की जड़ बन गया और मामला इतना बढ़ा कि पुलिस ने 25 मुस्लिम युवकों के खिलाफ FIR दर्ज कर दी।
I Love Mohammad मामला कैसे शुरू हुआ?

बरअवाफत के जुलूस और सजावट के दौरान सैयद नगर इलाके में एक गली के सामने बिजली से सजा हुआ बोर्ड लगाया गया। बोर्ड पर रोशनी से लिखा था – “I Love Mohammad” आयोजकों का मानना था कि यह उनके लिए मोहब्बत और सम्मान दिखाने का तरीका था।
लेकिन इलाके में मौजूद कुछ लोगों ने इसे नई परंपरा बताते हुए आपत्ति जताई। उनका कहना था कि ऐसी चीज़ पहले कभी बरअवाफत पर नहीं लगाई गई, इसलिए इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। धीरे-धीरे यह आपत्ति नारेबाज़ी और तनाव में बदल गई।
पुलिस की कार्रवाई
I Love Mohammad: तनाव बढ़ने पर पुलिस मौके पर पहुँची। भीड़ बढ़ती देख अधिकारियों ने बोर्ड हटवाया और शांति की अपील की। मगर इसके साथ ही पुलिस ने 25 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया—जिसमें 9 नामज़द और 16 अज्ञात शामिल हैं। उन पर धार्मिक भावनाएँ भड़काने और शांति भंग करने की धाराएँ लगाई गईं।
पुलिस का कहना है कि सार्वजनिक जगहों पर कोई भी सजावट या बोर्ड लगाने के लिए प्रशासनिक अनुमति लेनी चाहिए। बिना इजाज़त इस तरह का बोर्ड लगाना कानून के खिलाफ है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
लेकिन मोहल्ले के लोगों की सोच कुछ और है। उनका कहना है कि बोर्ड पर लिखा संदेश न तो किसी को नीचा दिखाता था, न ही किसी पर उंगली उठाता था। वह तो बस मोहम्मद साहब के प्रति प्यार और सम्मान व्यक्त कर रहा था।
I Love Mohammad: कुछ लोगों का कहना है कि यह मामला जरूरत से ज्यादा बढ़ा दिया गया। “अगर किसी को आपत्ति थी तो बातचीत से हल निकाला जा सकता था, मुकदमा दर्ज करने से हालात और बिगड़े हैं,” एक बुज़ुर्ग निवासी ने कहा।
दूसरी ओर, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि सार्वजनिक जगह पर कोई नई चीज़ लगाने से पहले सभी पक्षों को भरोसे में लेना चाहिए। क्योंकि धार्मिक आयोजनों में जरा-सी चूक भी बड़े विवाद का कारण बन सकती है।
सोशल मीडिया पर बहस
जैसे ही “I Love Mohammad” बोर्ड का वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैलीं, बहस तेज़ हो गई। कुछ लोग इसे श्रद्धा की निशानी बता रहे थे, तो कुछ इसे दिखावा और उकसावे का तरीका कह रहे थे। ट्विटर और फेसबुक पर #ILoveMohammad हैशटैग ट्रेंड करने लगा और पूरे मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा।
| क्रमांक | घटना/तथ्य | विवरण |
|---|---|---|
| 1 | विवाद की शुरुआत | बरअवाफत के दौरान सैयद नगर में “I Love Mohammad” बोर्ड लगाया गया। |
| 2 | आपत्ति | कुछ संगठनों ने इसे “नई परंपरा” बताकर विरोध किया। |
| 3 | पुलिस की कार्रवाई | बोर्ड हटवाया गया और 25 लोगों पर FIR दर्ज हुई। |
| 4 | FIR में आरोप | धार्मिक भावनाएँ आहत करने और शांति भंग करने की धाराएँ लगाई गईं। |
| 5 | स्थानीय प्रतिक्रिया | मुस्लिम समुदाय का कहना—यह श्रद्धा का भाव था, कोई उकसावा नहीं। |
प्रशासन की चुनौती
प्रशासन अब मुश्किल स्थिति में है। एक तरफ़ उन्हें समुदाय की भावनाओं का सम्मान करना है, तो दूसरी तरफ़ कानून-व्यवस्था बनाए रखना भी उनकी जिम्मेदारी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे मामले की जाँच कर रहे हैं और CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं। हालांकि अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
निष्कर्ष
कानपुर का यह मामला बताता है कि कैसे कभी-कभी एक साधारण-सा संदेश भी विवाद का कारण बन जाता है। “I Love Mohammad” जैसे शब्द किसी के लिए आस्था और मोहब्बत की पहचान हैं, लेकिन जब इन्हें सार्वजनिक जगह पर लगाया जाता है, तो अलग-अलग नजरिए टकरा जाते हैं।
जरूरत इस बात की है कि ऐसे मौकों पर समाज संवाद और समझदारी से आगे बढ़े। धार्मिक भावनाएँ जितनी अहम हैं, उतना ही जरूरी है कि उन्हें अभिव्यक्त करने के तरीके शांति और भाईचारे को मज़बूत करें, न कि तनाव को।




