GST Re-jig: त्योहारों का मौसम आते ही हर कोई नए गैजेट्स और स्मार्टफोन खरीदने की योजना बनाने लगता है। इस बार खास चर्चा में है GST काउंसिल की 56वीं बैठक, जिसमें एक बड़ा बदलाव किया गया। पुराने चार स्लैब्स की जगह अब नया दो-स्तरीय ढांचा लागू किया गया है – 5% और 18% का टैक्स स्लैब, साथ ही प्रीमियम और लग्जरी उत्पादों पर 40% का नया “सिन/लक्ज़री” टैक्स। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अब भारत में स्मार्टफोन की कीमतें कम होंगी?
स्मार्टफोन की कीमतों पर क्या पड़ा असर

नए ढांचे के बावजूद मोबाइल फोनों पर GST दर 18% ही बनी हुई है। यानी अगर आप सोच रहे थे कि फोन अब 5% टैक्स स्लैब में आकर सस्ते हो जाएंगे, तो ऐसा नहीं हुआ। काउंसिल ने साफ किया कि मोबाइल फोन टैक्स कटौती के दायरे में शामिल नहीं हैं। यही वजह है कि कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा।
क्यों नहीं मिला राहत का फायदा
दरअसल, स्मार्टफोन उद्योग सरकार के लिए राजस्व का बड़ा स्रोत है। हर साल करोड़ों लोग नए फोन खरीदते हैं और इस पर लगने वाला टैक्स सीधा सरकारी खजाने में जाता है। उद्योग जगत को पहले से अंदेशा था कि स्मार्टफोन को 5% टैक्स स्लैब में डालना मुश्किल है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि “आज स्मार्टफोन विलासिता नहीं, बल्कि ज़रूरत बन चुके हैं” और इन्हें कम टैक्स वाले दायरे में शामिल किया जाना चाहिए।
दूसरे सामान हुए सस्ते, लेकिन फोन पर बोझ वही
इस नए GST ढांचे के तहत कई उपभोक्ता वस्तुओं और ज़रूरी सामानों पर टैक्स में कटौती की गई है। कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू उपकरणों पर भी राहत मिली है, जिससे त्योहारों के मौसम में खरीदारी का बोझ हल्का होगा। लेकिन स्मार्टफोन फिलहाल इस राहत से दूर हैं। यानी अगर आप इस दीवाली नया फोन लेने की सोच रहे हैं, तो आपको पहले जितनी ही कीमत चुकानी होगी।
सरकार का मकसद और आम जनता की उम्मीदें

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सुधार को आम जनता के लिए टैक्स बोझ कम करने और खपत बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम बताया है। त्योहारों के दौरान जब खरीदारी अपने चरम पर होती है, तब यह कदम अर्थव्यवस्था को गति देगा। हालांकि, स्मार्टफोन खरीदारों को अभी भी इंतजार करना होगा कि कब सरकार इन्हें “आवश्यक वस्तु” मानकर 5% स्लैब में लाती है।
स्पष्ट है कि GST री-जिग 2025 के बाद भी स्मार्टफोन की कीमतों में कोई कमी नहीं होने वाली। हां, बाकी ज़रूरी सामानों और इलेक्ट्रॉनिक्स में राहत जरूर मिलेगी, लेकिन फोन खरीददारों को पुरानी ही कीमत चुकानी होगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले वर्षों में अगर सरकार स्मार्टफोन को शिक्षा, रोजगार और डिजिटल कनेक्टिविटी से जुड़ा “आवश्यक साधन” मान ले, तो इसमें बदलाव संभव है। फिलहाल, त्योहारों में आपको डिस्काउंट और ऑफर्स का ही इंतजार करना होगा।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल समाचार और विश्लेषण पर आधारित है। यह किसी भी प्रकार की वित्तीय या खरीद संबंधी सलाह नहीं है। स्मार्टफोन या किसी भी प्रोडक्ट की खरीद से पहले खुद की रिसर्च और विशेषज्ञ सलाह जरूर लें।