Mainiya Samman Yojana: आज सुबह जब ठाकुरगंज की गलियों में अचानक चुप्पी टूट गई, तो पता चला कि मंईयां सम्मान योजना की गाड़ी कहीं गलत ट्रैक पर चल पड़ी है। झारखंड की इस सरकारी योजना में बिहार और बंगाल से फर्जी तरीके से नाम जोड़कर किशनगंज जिले के लगभग 40 लोगों ने चोरी से लाभ उठाया था। इन ठगों में कई मृत व्यक्ति तक शामिल थे, जिन्होंने जैसे-जैसे पैसे निकाले, जैसे सिस्टम ही सवालों के घेरे में आ गया।
कैसे फैला यह भ्रष्टाचार

इस योजना का फायदा मूल उद्देश्य के विरुद्ध देते हुए लोग इसे गलत तरीके से उठा रहे थे। झारखंड पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि ठाकुरगंज और पौआखाली थाना क्षेत्र में एक सिंडिकेट सक्रिय था, जिसने योजना के तहत हर महीने ₹2,500 की तीन किस्तें धोखाधड़ी से निकाल ली। यहां तक कि मृतक मशरफ अली और लाचार बुजुर्ग रियाजुल निशा के खातों में भी राशि पहुंची। इन लोगों को तो खुद मालूम तक नहीं कि यह किस योजना की राशि थी!
पुलिस की जांच और खुलासे
जब झारखंड पुलिस ने इस मामले की तह में जाना, तो पता चला कि तीन CSP संचालक इस पूरी लूट में शामिल थे। बैंक रिकॉर्ड में दर्ज भुगतान और जिंदा–मरे लोगों के खाते देख सबकी आंखें खुल गईं। इसकी जांच संबंधित टीम आगे बढ़ा रही है और अब एक से दूसरे संदिग्ध तक पुलिस की रेड तेज हो गयी है। ठाकुरगंज और पौआखाली में अब हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि यह मामला जल्द देशभर में चर्चा का विषय बन गया।
क्या सच्चा उद्देश्य ठगों के पीछे धुंधला हो गया?
मंईयां सम्मान योजना का मकसद गर्भवती महिलाओं और माताओं को आर्थिक मदद देना था, ताकि उन्हें सुरक्षित और स्वस्थ जीवन मिल सके। लेकिन आज, इन योजनाओं की बंद–चिथड़ी धजिया उड़ाने वाले चोरों ने सरकारी कोशिशों की सार्थकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह दृश्य समाज के लिए एक बड़ी चेतावनी है कि योजनाओं के मायने तभी पूरी तरह होते हैं जब वे समय पर और सही लोगों तक पहुँचें।
जिम्मेदारी हमारी भी

वैसे भ्रष्टाचार के खिलाफ इतनी कड़ी कार्रवाई देखकर थोड़ी राहत मिलती है, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही है? अगर हम भी अपने आस-पास के मामलों पर नजर रखें, दस्तावेजों को समय-समय पर जांचें और संदेह होने पर तुरंत सच्चाई जानें, तो ऐसे घातक अपराधों पर लगाम बंद आ सकती है।
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