NCLT का बड़ा फैसला: गलती से जमा हुई रकम मोरटोरियम के बावजूद वापस होगी

Meenakshi Arya -

Published on: September 26, 2025

NCLT: नई दिल्ली। दिवालियापन कानून (IBC) के तहत चल रही कार्यवाही के बीच अक्सर यह सवाल उठता है कि अगर किसी कंपनी के खाते में गलती से पैसा चला जाए तो क्या उस रकम को वापस लिया जा सकता है? इस पर NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) नई दिल्ली ने हाल ही में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि मोरटोरियम लागू होने का मतलब यह नहीं है कि गलत जमा राशि को पलटा नहीं जा सकता।

यह फैसला उन हालातों को साफ करता है जब कोई कारोबारी या बैंक किसी कंपनी को गलती से बड़ी रकम ट्रांसफर कर देता है और बाद में उसे वापस लेने में अड़चन आती है।

मामला क्या था?

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दरअसल, एक पक्ष ने गलती से लाखों रुपये एक कॉरपोरेट डेब्टर (Corporate Debtor) की बैंक खाते में भेज दिए। लेकिन जब रकम वापस मांगने की बात आई, तो कंपनी की ओर से कहा गया कि IBC की कार्यवाही शुरू हो चुकी है और मोरटोरियम लागू है, ऐसे में पैसा वापस नहीं किया जा सकता। मामला सीधा NCLT के दरवाजे तक पहुंचा।

NCLT का फैसला

ट्रिब्यूनल ने साफ कहा कि मोरटोरियम का मकसद केवल यह है कि दिवालियापन प्रक्रिया में कोई बाधा न आए। लेकिन अगर किसी खाते में गलती से पैसे चले गए हैं, तो उसे रोकना न्याय के खिलाफ होगा।
अदालत ने कहा:

  • गलत ट्रांजेक्शन को पलटना सामान्य बैंकिंग प्रक्रिया है, इसे मोरटोरियम से नहीं रोका जा सकता।
  • यह वापसी किसी कर्ज़ वसूली जैसी कार्रवाई नहीं है, बल्कि गलती सुधारने की प्रक्रिया है।
  • कॉरपोरेट डेब्टर को भी यह अधिकार नहीं है कि वह मोरटोरियम का सहारा लेकर दूसरों का पैसा रोक ले।

क्यों है यह फैसला अहम?

  • निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा – अब उन्हें यकीन होगा कि गलती से भेजे गए पैसे फंसेंगे नहीं।
  • मोरटोरियम का दुरुपयोग रुकेगा – कुछ कंपनियाँ पहले इस नियम को बहाना बनाकर रकम दबा लेती थीं।
  • लेन-देन का सिस्टम मजबूत होगा – बैंकिंग और कारोबारी जगत में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ेगा।
  • IBC प्रक्रिया साफ होगी – दिवालियापन के मामले में अब ऐसे विवाद कम होंगे।

किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है?

हालांकि NCLT ने फैसला स्पष्ट कर दिया है, लेकिन कुछ सावधानियाँ जरूरी हैं:

  • गलती से भेजी गई रकम का सबूत होना चाहिए।
  • वापसी की मांग समय पर की जानी चाहिए।
  • यह प्रावधान सिर्फ गलती से भेजे गए पैसे पर लागू होगा, धोखाधड़ी पर नहीं।
  • अगर दूसरी पार्टी विवाद करे तो मामला कोर्ट में भी खिंच सकता है।

कानूनी और व्यावहारिक असर

  • कानूनी दृष्टि से – अब कोर्ट का यह आदेश मिसाल बनेगा। आने वाले मामलों में कंपनियाँ मोरटोरियम का हवाला देकर गलत जमा रकम रोक नहीं पाएंगी।
  • व्यावहारिक दृष्टि से – बैंकिंग सिस्टम और डिजिटल ट्रांजेक्शन पर भरोसा और मजबूत होगा। लोग जानेंगे कि अगर तकनीकी गलती से पैसा चला गया तो उसे वापस लेने का रास्ता साफ है।
  • कंपनियों के लिए चेतावनी – कंपनियों को यह समझना होगा कि दिवालियापन प्रक्रिया उन्हें “दूसरों के पैसे दबाने का लाइसेंस” नहीं देती।
पहलूविवरण
अदालतNCLT नई दिल्ली
मुद्दामोरटोरियम और गलत जमा रकम
फैसलारकम वापस ली जा सकती है
महत्वभरोसा और पारदर्शिता बढ़ी
सीमासिर्फ गलती से जमा मामलों तक लागू

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निष्कर्ष

यह फैसला यह साबित करता है कि कानून केवल कठोर प्रावधानों तक सीमित नहीं है, बल्कि उसमें न्याय और सामान्य समझ भी शामिल है। मोरटोरियम का मकसद दिवालियापन की प्रक्रिया को सुचारू बनाना है, न कि गलती से भेजे गए पैसों को रोकने का साधन।

NCLT का यह कदम व्यापार जगत और निवेशकों दोनों के लिए राहतभरी खबर है। अब सभी पक्ष जान गए हैं कि गलती से हुए लेन-देन को समय पर और न्यायपूर्ण तरीके से सुधारा जा सकता है। यह फैसला निवेशकों, बैंकों और कारोबारियों के लिए एक राहत की तरह है। इससे यह भरोसा और मजबूत होता है कि भारतीय न्याय व्यवस्था सही और समय पर फैसले लेकर लेन-देन को पारदर्शी बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

Meenakshi Arya

मेरा नाम मीनाक्षी आर्या है। मैं एक अनुभवी कंटेंट क्रिएटर हूं और पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय हूं। वर्तमान में मैं The News Bullet के लिए टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य, यात्रा, शिक्षा और ऑटोमोबाइल्स जैसे विविध विषयों पर लेख लिख रही हूं।

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