RBI: जब बात देश की अर्थव्यवस्था और निवेश के भविष्य की आती है, तो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के हर कदम पर पूरे बाजार की नजर होती है। हाल ही में RBI ने बैंकों और NBFCs (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों) के लिए प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग को लेकर जो नई गाइडलाइन्स जारी की हैं, उन्हें लेकर जहां एक ओर कुछ चिंताएं थीं, वहीं अब Motilal Oswal की रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि इन नए नियमों का बैंकों और NBFCs की कमाई या बैलेंस शीट पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा।
अक्टूबर 2025 से लागू होंगे नए नियम, बढ़ेगा पारदर्शिता के साथ निवेश का रास्ता

RBI द्वारा 1 अक्टूबर 2025 से लागू की जा रही ये गाइडलाइन्स पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा लचीली हैं। खास बात यह है कि इन नए नियमों के तहत प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग पर बैंकों को जो प्रोविजनिंग करनी होती थी, उसमें बड़ी राहत दी गई है। इसका सीधा असर यह होगा कि प्रोजेक्ट्स को फाइनेंस करने में अब और आसानी होगी, साथ ही वित्तीय अनुशासन भी बना रहेगा।
70 संस्थाओं की प्रतिक्रिया के बाद बने नियम, संतुलन बनाने की कोशिश
इन गाइडलाइन्स को अंतिम रूप देने से पहले रिज़र्व बैंक ने लगभग 70 से अधिक वित्तीय संस्थाओं और विशेषज्ञों से फीडबैक लिया था। यह इस बात का संकेत है कि RBI सिर्फ आदेश जारी करने वाली संस्था नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत और बाज़ार की जरूरतों को समझने वाला नियामक है। नियमों में इस तरह की भागीदारी से स्पष्ट है कि यह कदम सिर्फ बैंकों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे निवेश इकोसिस्टम के लिए सकारात्मक साबित होगा।
मौजूदा बुक्स पर कोई असर नहीं, नई लोन की लागत भी कस्टमर पर ट्रांसफर हो सकती है
रिपोर्ट के अनुसार, जो लोन पहले से ही दिए जा चुके हैं, उन पर इन नियमों का कोई असर नहीं पड़ेगा। यानी बैंकों और NBFCs की मौजूदा बैलेंस शीट पर किसी भी तरह की अतिरिक्त भार नहीं बढ़ेगा। वहीं जो नए प्रोजेक्ट लोन दिए जाएंगे, उनमें प्रोविजनिंग की लागत को ब्याज दरों के माध्यम से ग्राहकों तक पहुंचाया जा सकता है। खासकर उस समय जब ब्याज दरों में गिरावट का दौर चल रहा हो, तो इस तरह की लागत का असर कर्जदारों पर ज्यादा नहीं पड़ेगा।
2024 के ड्राफ्ट की तुलना में ज्यादा व्यावहारिक हैं नए दिशा-निर्देश

गौर करने वाली बात यह भी है कि जो दिशा-निर्देश अब जारी किए गए हैं, वे 2024 के सख्त ड्राफ्ट से काफी बेहतर और संतुलित हैं। यह बदलाव न केवल बैंकों को राहत देगा, बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉन्ग-टर्म प्रोजेक्ट्स के लिए फाइनेंसिंग का रास्ता और भी आसान बना देगा। इससे देश में विकास की रफ्तार तेज करने में मदद मिलेगी।
Disclaimer: यह लेख भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी की गई प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग गाइडलाइन्स और Motilal Oswal की रिपोर्ट पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है और समय के साथ इसमें बदलाव हो सकते हैं। किसी भी निवेश या वित्तीय निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।