Supreme Court: हर आम आदमी के लिए न्याय तक पहुंच आसान और पारदर्शी हो, यही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत होती है। इसी दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव हुआ है भारत के सर्वोच्च न्यायालय में। 14 जुलाई 2025 से सुप्रीम कोर्ट के कामकाज में एक अहम परिवर्तन लागू किया जा रहा है, जिसके तहत अब दूसरे और चौथे शनिवार भी कार्यदिवस होंगे। यह बदलाव Supreme Court (Amendment) Rules, 2025 के तहत लागू किया जा रहा है, जिसे भारत सरकार के कानून और न्याय मंत्रालय ने गजट अधिसूचना के माध्यम से जारी किया है।
अब शनिवार को भी मिलेगा न्याय का दरवाज़ा खुला

पहले जहां हर महीने का दूसरा और चौथा शनिवार Supreme Court में अवकाश होता था, अब वह परंपरा खत्म हो रही है। नए नियमों के तहत अब सभी शनिवारों को सुप्रीम कोर्ट की ऑफिसें खुली रहेंगी। शनिवार को कोर्ट का समय सुबह 10:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक निर्धारित किया गया है। अगर किसी को अर्जेंट दस्तावेज दाखिल करने हैं, तो उन्हें दोपहर 12 बजे से पहले ही जमा करना होगा।
यह निर्णय न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से क्रांतिकारी है, बल्कि इससे न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने और केस पेंडेंसी कम करने में भी मदद मिलेगी।
पूरे हफ्ते अब तय होंगे स्पष्ट समय
नए बदलाव के तहत, Supreme Court की ऑफिसें अब हर कार्यदिवस को सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुली रहेंगी। हालांकि, शाम 4:30 बजे के बाद सिर्फ आपातकालीन मामलों की फाइलिंग ही स्वीकार की जाएगी। यह समय-सारणी कोर्ट के कामकाज को अधिक सुव्यवस्थित और समयबद्ध बनाएगी।
विशेष छुट्टियों जैसे क्रिसमस या नए साल के दिन, कार्य समय का निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा अलग-अलग मामलों के अनुसार लिया जाएगा।
नया चेहरा, नया न्याय: भारत को मिला नया मुख्य न्यायाधीश
इसी बदलाव के माहौल में भारत को एक नया मुख्य न्यायाधीश भी मिला है। 14 मई 2025 को जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित संक्षिप्त समारोह में शपथ दिलाई गई।
CJI गवई कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रह चुके हैं, जिनमें जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने संबंधी फैसला प्रमुख है। वे Supreme Court में 24 मई 2019 को जज के रूप में नियुक्त हुए थे और अब 23 नवंबर 2025 तक लगभग छह महीने से अधिक के कार्यकाल तक इस सर्वोच्च पद पर रहेंगे।
न्याय की राह होगी और भी सरल

इन नए नियमों के आने से न केवल कोर्ट में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि वादियों और वकीलों को ज्यादा समय और अवसर मिलेंगे अपने मामलों को ठीक ढंग से प्रस्तुत करने के लिए। यह कदम सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली को और अधिक सक्रिय, उत्तरदायी और जनसुलभ बनाएगा।
इससे यह संदेश भी स्पष्ट होता है कि अब अदालतें भी समय के साथ कदम से कदम मिलाकर न्याय व्यवस्था को तेज और बेहतर बनाने के लिए आगे आ रही हैं।
अस्वीकरण: यह लेख सार्वजनिक सूचना के आधार पर तैयार किया गया है। सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी कोई भी आधिकारिक जानकारी के लिए कृपया सुप्रीम कोर्ट या विधि और न्याय मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर अधिसूचना की पुष्टि अवश्य करें।