PM Modi in g20 summit: जोहान्सबर्ग — G20 शिखर सम्मेलन के दौरान एक दिलचस्प और हल्का-फुल्का पल उस समय देखने को मिला जब दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि काश भारत उन्हें पहले बता देता कि G20 की मेजबानी कितनी कठिन होती है।
रामाफोसा की यह टिप्पणी मजाक के रूप में आई, लेकिन उन्होंने उसी के जरिए यह भी साफ कर दिया कि इतने बड़े वैश्विक कार्यक्रम की जिम्मेदारी उठाना किसी भी देश के लिए आसान काम नहीं होता। इस पूरे माहौल में PM Modi in G20 Summit से जुड़ी यह बातचीत काफी चर्चित रही।
“इतना मुश्किल है, पहले बता देते!” — रामाफोसा की ईमानदार हंसी

PM Modi in g20 summit: रामाफोसा ने मुस्कुराते हुए कहा कि भारत ने 2023 में G20 की मेजबानी शानदार तरीके से की थी। लेकिन उसी अनुभव के आधार पर वह चाहते थे कि भारत पहले ही बता दे कि यह काम कितना बड़ी चुनौती लेकर आता है।
उनके शब्दों में एक हल्की शिकायत भी थी और भारत की प्रशंसा भी। उन्होंने माना कि भारत की तैयारी और आयोजन स्तर देखकर साउथ अफ्रीका को भी सीखने का मौका मिला है।
पीएम मोदी का जवाब — छोटा, प्यारा और बिल्कुल दिल छू लेने वाला
PM Modi in g20 summit: रामाफोसा के मज़ाक पर प्रधानमंत्री मोदी हँस पड़े और उनका जवाब भी उतना ही दोस्ताना था —
“छोटा हमेशा खूबसूरत होता है।”
यह लाइन उनके रिश्ते की गर्माहट बताती है। मोदी का यह जवाब राजनीतिक मंच पर उस सहजता को दिखाता है जो दो नेताओं के बीच विश्वास और सम्मान की वजह से ही संभव है।
इसने माहौल को और भी हल्का कर दिया और सभी को यह एहसास कराया कि वैश्विक मंचों पर भी इंसानी जुड़ाव की जगह हमेशा बनी रहती है।
भारत–साउथ अफ्रीका रिश्तों में नया रंग
PM Modi in g20 summit: यह बातचीत मज़ाक भरी जरूर थी, लेकिन इससे यह साफ झलकता है कि भारत और साउथ अफ्रीका के बीच रिश्ते कितने दोस्ताना और भरोसे से भरे हुए हैं। भारत लगातार विकासशील देशों की आवाज़ को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ा रहा है।
साउथ अफ्रीका इस साल G20 की मेजबानी कर रहा है, और इसमें भारत का सहयोग, मार्गदर्शन और अनुभव उनके लिए अहम रहा है। रामाफोसा ने साफ तौर पर माना कि भारत की तैयारी एक ‘बेंचमार्क’ की तरह काम करती है।
G20 की मेजबानी — सम्मान भी, भारी जिम्मेदारी भी
G20 की मेजबानी सिर्फ फ़ोटो खिंचवाने भर का मौका नहीं होता।
इसके लिए महीनों की तैयारी, सुरक्षा, संसाधन, लॉजिस्टिक और अंतरराष्ट्रीय तालमेल की जरूरत होती है।
रामाफोसा की टिप्पणी इसी गहरी सच्चाई को उजागर करती है —
वैश्विक मंचों पर प्रतिष्ठा मिलती है, लेकिन उसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
यह बात कई देशों की उस हिचक को भी दर्शाती है, जो इतनी बड़ी जिम्मेदारी लेने से पहले सौ बार सोचते हैं।
भारत की भूमिका और मोदी का प्रभाव
PM Modi in G20 Summit की मौजूदगी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में G20 को एक नए आयाम पर पहुंचाया है।
भारत ने गरीब और विकासशील देशों की आवाज़ को न सिर्फ उठाया बल्कि उसे वैश्विक नीति का हिस्सा बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई।
साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति की टिप्पणी भी इसी बात का संकेत देती है —
भारत अब सिर्फ एक सहभागी नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक देश बन चुका है।
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निष्कर्ष — मज़ाक में छुपी सच्चाई
PM Modi in G20 Summit: रामाफोसा की “आप पहले बता देते…” वाली बात भले हल्की थी, लेकिन समझ गहरी थी।
उनके साथ पीएम मोदी का दोस्ताना जवाब बताता है कि बड़े मंचों पर भी माहौल हमेशा कठोर नहीं होता — कभी-कभी सरलता और मानवीयता सब पर भारी पड़ जाती है।
एक तरफ जिम्मेदारियां हैं, तो दूसरी तरफ नेताओं का आपस में जुड़ाव।
और शायद यही G20 जैसे मंचों का असली मूल्य भी है —
देशों को जोड़ना, दबाव को साझा करना और दुनिया को एक परिवार की तरह देखना।





