ITBP की 27वीं बटालियन को मिला बड़ा सम्मान — नक्सल इलाकों में भरोसे और बहादुरी की मिसाल

Meenakshi Arya -

Published on: November 21, 2025

नई दिल्ली — भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (itbp) की 27वीं बटालियन को हाल ही में एक बहुत ही खास सम्मान मिला है। उसे “सर्वश्रेष्ठ एंटी-नक्सल यूनिट” का खिताब दिया गया है, और यह ईनाम सिर्फ उसकी लड़ाई की ताकत के लिए नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों के साथ बने भरोसे के रिश्ते का भी सम्मान है।

यह सम्मान ITBP के डायरेक्टर-जनरल द्वारा एक समारोह में उन जवानों को दिया गया, जो नक्सल प्रभावित इलाकों में न सिर्फ लड़ने, बल्कि सेवा करने में भी दिल से लगे हैं।

मोइला-मानपुर की धरती पर मेहनत की पहचान

ITBP: किसी दूर-दराज के जंगल में ये जवान अकेले नहीं थे — वे स्थानीय आदिवासी समुदाय के बीच रहे, उनकी तकलीफें सुनीं, और उनके साथ खड़े हुए। छत्तीसगढ़ के मोइला-मानपुर, जो कभी नक्सलियों की पकड़ का गढ़ रहा है, उसी इलाके में इस बटालियन ने बड़ी हिम्मत दिखाई।

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि अगस्त 2025 में आई, जब उन्होंने दो नक्सली कमांडरों को पकड़ने या लड़कर मार गिराने में सफलतापूर्वक काम किया। लेकिन यह सिर्फ गोलीबारी की कहानी नहीं थी: उन्होंने उन इलाकों में सतह से नक्सलियों की आपूर्ति लाइन काट दी, और कई ओवर-ग्राउंड सहयोगियों को आत्मसमर्पण करने के लिए राज़ी किया।

न सिर्फ लड़ना, बल्कि सहारा देना भी

यह बटालियन सिर्फ जंग में आगे नहीं है — वह दिल से काम करती है। उन गांवों में जहाँ नक्सलवाद की वजह से रोज़मर्रा की ज़िंदगी मुश्किल थी, वहां इन जवानों ने करियर काउंसलिंग शुरू की। उन्होंने युवाओं को परीक्षा की तैयारियाँ कराने में मदद कीं ताकि उनका भविष्य बेहतर हो सके।

इतना ही नहीं, उन्होंने मुफ़्त क्लिनिक लगाए — एक सामान्य स्वास्थ्य केंद्र और पशु चिकित्सा केंद्र, जहाँ गाँव के लोग और उनके जानवर बिना परेशान हुए इलाज ले सकें। यह उनकी लड़ाई का असली चेहरा है — बंदूक जैसा ज़रिया लेकिन सेवा का इरादा।

सम्मान के पीछे भरोसे की कहानी

ITBP: इस सम्मान का मतलब सिर्फ यह नहीं है कि बटालियन ने ऑपरेशन में सफलता पाई है; यह यह भी दिखाता है कि उसने समुदाय का विश्वास जीता है। कई गांवों में, जवानों और स्थानीय लोगों के बीच दोस्ती की डोर बनी है।

न सिर्फ सरकार और मीडिया, बल्कि स्थानीय लोग भी उनका काम देख रहे हैं और सराह रहे हैं। यह भरोसा नक्सलवाद को मिटाने की दिशा में एक बहुत बड़ी ताकत बन सकता है।

आगे की राह — नक्सलवाद के ख़ात्मे की उम्मीद

सरकार ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद को ख़त्म करने का लक्ष्य रखा है, और 27वीं बटालियन इस लक्ष्य में अहम भूमिका निभा रही है। उनकी रणनीति साफ है — न सिर्फ जंग जीतना, बल्कि उन इलाकों में विकास और भरोसे की नींव रखना जहाँ नक्सलवाद ने गहरी जड़ें जमा रखी हैं।

क्रमांकमुख्य बिंदुविवरणप्रभावमहत्व
127वीं बटालियन को सम्मानITBP को “सर्वश्रेष्ठ एंटी-नक्सल यूनिट” का खिताब मिलाजवानों का मनोबल बढ़ाराष्ट्रीय स्तर पर पहचान
2सफल ऑपरेशननक्सल कमांडरों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाईइलाके में सुरक्षा मजबूतीनक्सल नेटवर्क कमजोर
3समुदाय से जुड़ावकरियर गाइडेंस, मुफ्त चिकित्सा शिविरग्रामीणों में भरोसा बढ़ाविकास को समर्थन
4मानपुर क्षेत्र में कार्यनक्सल सप्लाई चेन में बड़ी कटौतीसंगठन पर दबावशांतिपूर्ण माहौल
5भविष्य की भूमिकानक्सलवाद खत्म करने के लक्ष्य में अहम योगदानसरकार के मिशन को गतिस्थायी समाधान की उम्मीद

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ITBP निष्कर्ष

ITBP की 27वीं बटालियन वो उदाहरण है जो कहता है — सच्ची बहादुरी सिर्फ लड़ने में नहीं, भरोसा बनाने में भी होती है। यह इकाई यह सिखाती है कि जब सुरक्षा अधिकारी दिल से लोगों की सेवा करें, तभी एक स्थिर और शांतिपूर्ण समाज की नींव तैयार होती है।

itbp की इस उपलब्धि को सिर्फ एक पुरस्कार के रूप में न देखें, बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी के रूप में महसूस करें। यह बटालियन हमारे देश की उन आवाज़ों में से एक है जो न सिर्फ बंदूक चलाती है, बल्कि उम्मीद जगाती है।

Meenakshi Arya

मेरा नाम मीनाक्षी आर्या है। मैं एक अनुभवी कंटेंट क्रिएटर हूं और पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय हूं। वर्तमान में मैं The News Bullet के लिए टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य, यात्रा, शिक्षा और ऑटोमोबाइल्स जैसे विविध विषयों पर लेख लिख रही हूं।

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