छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में एक अनोखा और भावनात्मक दृश्य देखने को मिला, जब CRPF (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) की 74वीं बटालियन ने अपने बहादुर साथी — सेवा कुत्ते ‘Ego’ — को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी। यह क्षण न केवल बटालियन के जवानों के लिए भावनात्मक था, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा देने वाला भी बन गया।
Ego: जिसने कई जवानों की जान बचाई

‘Ego’ कोई साधारण कुत्ता नहीं था। वह CRPF की K9 यूनिट का हिस्सा था — एक ऐसा यूनिट जो देश के सबसे कठिन इलाकों में ऑपरेशन के दौरान जवानों की रक्षा में हमेशा अग्रिम मोर्चे पर रहता है।
सुकमा जैसे नक्सल-प्रभावित क्षेत्र में Ego ने कई बार अपने अद्भुत प्रशिक्षण और साहस का परिचय दिया। उसने समय रहते IED (Improvised Explosive Device) का पता लगाकर कई जवानों की जान बचाई थी। एक अभियान के दौरान उसने विस्फोटक का संकेत दिया और कुछ ही देर में वह खुद घायल हो गया, लेकिन अपनी जिम्मेदारी निभाने में उसने कभी पीछे नहीं हटे।
Ego की यह बहादुरी उसे सिर्फ एक “सुरक्षा कुत्ता” नहीं, बल्कि सच्चे अर्थों में एक सैनिक बना देती है।
CRPF में K9 यूनिट की भूमिका — इंसान और जानवर के बीच अटूट साझेदारी
CRPF के हर ऑपरेशन में K9 यूनिट का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। ये चार-पैर वाले योद्धा उन रास्तों पर सबसे पहले कदम रखते हैं जहाँ खतरा अदृश्य होता है।
IED का पता लगाना, घने जंगलों में नक्सली गतिविधियों को सूंघ पाना, या फिर दुश्मन की छिपी चालों को भांप लेना — ये सब K9 यूनिट की जिम्मेदारी होती है।
CRPF के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:
“Ego जैसे डॉग्स हमारे जवानों के सच्चे साथी हैं। वे न सिर्फ ऑपरेशन में मदद करते हैं, बल्कि हमारी टीम की हिम्मत और मनोबल को भी बढ़ाते हैं।”
यह शब्द दर्शाते हैं कि CRPF सिर्फ एक बल नहीं, बल्कि एक परिवार है — जिसमें इंसान और पशु, दोनों बराबर के सदस्य हैं।
सैनिक सम्मान के साथ विदाई
74वीं बटालियन के कैंप में आयोजित विदाई समारोह में जवानों ने ‘Ego’ को उसी सम्मान के साथ विदाई दी, जो किसी वीर जवान को दी जाती है।
उसके शरीर को भारतीय तिरंगे में लपेटा गया, सलामी दी गई और पूरे सैन्य अनुशासन के साथ अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
जवानों की आंखें नम थीं, लेकिन चेहरों पर गर्व भी था। एक अधिकारी ने कहा,
“Ego ने अपनी जान देकर साथियों की जान बचाई। यह बलिदान किसी सैनिक से कम नहीं है।”
यह दृश्य यह बताने के लिए काफी था कि असली वीरता इंसान की वर्दी में ही नहीं, बल्कि वफादारी और समर्पण में भी होती है।
देश के लिए एक सीख
इस घटना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सेवा और समर्पण केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं है। CRPF ने यह दिखाया है कि बलिदान और वफादारी की कोई जाति, भाषा या प्रजाति नहीं होती।
इन K9 योद्धाओं की ट्रेनिंग और अनुशासन इंसानों के लिए भी प्रेरणा है। Ego जैसे साथी यह सिखाते हैं कि सच्ची देशभक्ति बिना किसी स्वार्थ के, पूरे मन से अपने कर्तव्य को निभाने में है।
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🇮🇳 निष्कर्ष
Ego की कहानी सिर्फ एक कुत्ते की कहानी नहीं है — यह साहस, समर्पण और वफादारी का प्रतीक है।
CRPF के 74वें बटालियन ने यह साबित कर दिया कि उनका आदर्श केवल “सेवा और सुरक्षा” तक सीमित नहीं, बल्कि हर उस प्राणी तक फैला है जो देश की रक्षा में अपना योगदान देता है।
“देश के सच्चे रक्षक वही हैं — जो बिना शब्दों के भी अपना कर्तव्य निभा जाएं।”
Ego की वीरता हमेशा याद रखी जाएगी, और उसकी यादें आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाती रहेंगी कि
“वर्दी सिर्फ इंसानों की नहीं होती, जज़्बा भी सैनिक बनाता है।”





