Gautam Gambhir नई दिल्ली – भारतीय क्रिकेट में हाल के दिनों में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है दिग्गज खिलाड़ियों रोहित शर्मा, विराट कोहली और आर. अश्विन का संन्यास। इस मुद्दे पर पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी ने एक चौकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान कोच गौतम गंभीर की रणनीतियों और टीम प्रबंधन ने इन अनुभवी खिलाड़ियों को संन्यास लेने के लिए मजबूर किया।
मनोज तिवारी का बयान
मनोज तिवारी ने ‘Inside Sport’ को दिए इंटरव्यू में कहा,
“टीम में जब सीनियर खिलाड़ी होते हैं, जैसे रोहित, विराट और अश्विन, तो ये खिलाड़ी अपने अनुभव के बल पर निर्णय ले सकते हैं और सवाल उठा सकते हैं। लेकिन गौतम गंभीर ने ऐसा माहौल बनाया कि उन्हें टीम छोड़नी पड़ी।”
उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि गंभीर के कोच बनने के बाद खिलाड़ियों के चयन और प्लेइंग इलेवन में बदलावों को लेकर कई विवाद सामने आए। तिवारी का मानना है कि इन नीतियों ने खिलाड़ियों के संन्यास की प्रक्रिया को तेज किया।

Gautam Gambhir की कोचिंग शैली
गौतम गंभीर की कोचिंग को लेकर रायें मिली-जुली हैं।
- कुछ खिलाड़ियों ने उनकी ‘स्पार्टन मानसिकता’ की सराहना की है। यह मानसिकता अनुशासन, मेहनत और उच्च मानकों पर जोर देती है।
- वहीं, कुछ पूर्व खिलाड़ी मानते हैं कि यह कठोर दृष्टिकोण सीनियर खिलाड़ियों के लिए सही नहीं है, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
विशेषज्ञों का कहना है कि गंभीर का दृष्टिकोण टीम के नए खिलाड़ियों के लिए उपयोगी हो सकता है, लेकिन अनुभवी खिलाड़ियों के साथ इसे संतुलित करना जरूरी था।
संन्यास का समय और प्रभाव
- रोहित शर्मा और विराट कोहली ने भारतीय क्रिकेट को लगभग 16 वर्षों तक सेवाएँ दीं।
- आर. अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इन तीनों खिलाड़ियों का संन्यास केवल टीम के लिए नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के इतिहास के लिए भी एक युग का अंत है। उनके जाने से टीम को नए नेतृत्व और रणनीति की आवश्यकता महसूस होती है।
नेतृत्व में बदलाव
Gautam Gambhir: हाल ही में शुबमन गिल को वनडे टीम का कप्तान नियुक्त किया गया है। यह कदम रोहित शर्मा की कप्तानी को समाप्त करता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव नए दौर की शुरुआत है, लेकिन समय और तरीके को लेकर पूर्व खिलाड़ियों में कुछ चिंता भी देखने को मिली है।
भविष्य की दिशा
Gautam Gambhir की कोचिंग और उनके फैसले टीम के प्रदर्शन को सीधे प्रभावित करते हैं।
- सकारात्मक पक्ष यह है कि युवा खिलाड़ी अब अधिक अनुशासित और प्रतिस्पर्धी बन रहे हैं।
- चुनौती यह है कि सीनियर खिलाड़ियों के अनुभव का सही उपयोग नहीं हो रहा।
यदि टीम नए खिलाड़ियों और अनुभवी खिलाड़ियों के बीच संतुलन बनाए रखती है, तो भारतीय क्रिकेट आने वाले वर्षों में मजबूत बनेगा।
| पहलू | विवरण |
|---|---|
| विवाद | पूर्व खिलाड़ी मनोज तिवारी ने गंभीर को जिम्मेदार ठहराया |
| प्रमुख खिलाड़ी | रोहित शर्मा, विराट कोहली, आर. अश्विन |
| कोच | Gautam Gambhir |
| युवा नेतृत्व | शुबमन गिल |
| कोचिंग शैली | अनुशासन और स्पार्टन मानसिकता, कुछ के लिए कठोर |
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निष्कर्ष
मनोज तिवारी का बयान भारतीय क्रिकेट में कोचिंग और नेतृत्व के महत्व को उजागर करता है।
Gautam Gambhir की कोचिंग शैली ने टीम के भीतर नए नियम और अनुशासन लाए, लेकिन इसके साथ ही यह अनुभवी खिलाड़ियों के लिए चुनौती बन गई।
रोहित शर्मा, विराट कोहली और आर. अश्विन के संन्यास के बाद टीम को नए नेतृत्व, रणनीति और संतुलित निर्णय लेने की आवश्यकता है।




