Babar Azam: एशिया कप 2025 अपने अंतिम पड़ाव पर है और भारत-पाकिस्तान फाइनल को लेकर माहौल पहले से ही गर्म है। इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है—पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने कोशिश की कि पूर्व कप्तान babar azam को अचानक टीम में वापस ले लिया जाए। लेकिन आयोजकों ने इस प्रस्ताव पर साफ शब्दों में “ना” कह दिया।
क्यों उठा बाबर को वापस बुलाने का विचार?
Babar Azam: पाकिस्तान की टीम इस टूर्नामेंट में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई। भारत से मिले लगातार दो झटकों ने टीम मैनेजमेंट की टेंशन और बढ़ा दी। ऐसे में यह चर्चा तेज़ हो गई कि अगर बाबर आज़म टीम में होते तो हालात अलग हो सकते थे।
यही वजह रही कि बोर्ड ने आयोजकों से बाबर को फाइनल से पहले टीम में शामिल करने की मांग की। लेकिन टूर्नामेंट के नियम स्पष्ट हैं—खिलाड़ी केवल तभी बदला जा सकता है जब कोई चोटिल हो। बिना चोट के किसी भी तरह का फेरबदल संभव नहीं है।

बाबर और रिज़वान क्यों बाहर थे?
Babar Azam: कुछ महीने पहले ही बोर्ड ने बाबर आज़म और विकेटकीपर मोहम्मद रिज़वान दोनों को बाहर कर दिया था। वजह बताई गई थी कि टीम को नए खिलाड़ियों को मौका देना है और स्ट्राइक रेट में सुधार लाना ज़रूरी है।
लेकिन अब हालत यह है कि वही टीम बल्लेबाज़ी में संघर्ष कर रही है और पुराने खिलाड़ियों की कमी साफ दिखाई दे रही है। इसी वजह से बोर्ड अचानक पलटी मारते हुए बाबर को याद करने लगा।
आयोजकों का साफ जवाब
Babar Azam: जब पाकिस्तान ने यह अनुरोध किया, तो आयोजकों ने तुरंत नियमों का हवाला देते हुए इंकार कर दिया। उनका कहना था—“टूर्नामेंट के बीच में किसी खिलाड़ी को जोड़ना केवल तब संभव है जब टीम के पास मेडिकल प्रूफ हो कि कोई खिलाड़ी फिट नहीं है। बाबर आज़म को केवल रणनीतिक कारणों से शामिल करना नियमों के खिलाफ होगा।”
यानी बोर्ड का दांव वहीं रुक गया।
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
क्रिकेट पंडितों की राय बंटी हुई है। कुछ कहते हैं कि बाबर आज़म जैसा खिलाड़ी टीम में होता तो पाकिस्तान की बल्लेबाज़ी कहीं मज़बूत दिखती। वहीं, कुछ का मानना है कि बीच टूर्नामेंट इस तरह बदलाव करने की कोशिश करना टीम की अस्थिरता और घबराहट को दर्शाता है।
कई पूर्व खिलाड़ियों ने यह भी कहा है कि अगर बोर्ड को सचमुच बाबर पर भरोसा था, तो उन्हें शुरुआत से ही टीम का हिस्सा बनाए रखना चाहिए था।
आगे क्या होगा?
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बाबर आज़म की वापसी अब दक्षिण अफ्रीका दौरे पर हो सकती है। वहीं, कप्तान सलमान अली आगा पर भी सवाल उठने लगे हैं। अगर फाइनल में उनका प्रदर्शन कमजोर रहा, तो आने वाले समय में फिर से बाबर के कप्तान बनने की चर्चा तेज़ हो सकती है।
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निष्कर्ष
यह पूरी कहानी साफ दिखाती है कि क्रिकेट सिर्फ मैदान पर नहीं खेला जाता, बल्कि मैदान के बाहर भी बड़े फैसले होते हैं। पाकिस्तान बोर्ड ने भले ही एशिया कप फाइनल से पहले babar azam को वापस बुलाने की कोशिश की, लेकिन नियमों ने उनके इरादे पर पानी फेर दिया।
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या मौजूदा खिलाड़ी इस दबाव को झेलकर भारत के खिलाफ फाइनल में शानदार प्रदर्शन कर पाते हैं, या फिर बाबर को बाहर रखने का फैसला पाकिस्तान के लिए एक और भारी गलती साबित होगा।
पाकिस्तान का प्रस्ताव बाबर आज़म को एशिया कप फाइनल में शामिल करने का— भले ही अनौपचारिक स्तर पर— यह बताता है कि क्रिकेट में रणनीति, राजनीति और भावना एक साथ चली आती है। babar azam जैसा नाम वापस बुलाने की योजना, पर आयोजन समिति का नियमपरायण रवैया, और टीम चयन के सवाल — ये सभी बातें दर्शाती हैं कि खेल सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं रहता।




