NDTV News: कनाडा में रहने वाला खालिस्तानी समर्थक इंदरजीत सिंह गोसल एक बार फिर सुर्खियों में है। गिरफ्तारी के महज सात दिन बाद ही अदालत से उसे जमानत मिल गई और जैसे ही वह बाहर आया, सोशल मीडिया पर एक धमकी भरा वीडियो जारी कर दिया। इस वीडियो ने न सिर्फ भारत बल्कि कनाडा की सियासत को भी हिला दिया है। यह खबर ndtv news में प्रमुखता से प्रकाशित हुई है।
गिरफ्तारी और रिहाई की कहानी
NDTV News: 19 सितंबर को ओंटारियो पुलिस ने ट्रैफिक जांच के दौरान गोसल को गिरफ्तार किया था। उसके साथ दो और लोग भी पकड़े गए—न्यूयॉर्क निवासी जगदीप सिंह और टोरंटो का अरमान सिंह। पुलिस ने इनके पास से हथियार भी बरामद किए और कई धाराओं में केस दर्ज किया। आरोपों में लापरवाही से हथियार रखना, खतरनाक इरादे से बंदूक का इस्तेमाल और अवैध कब्ज़ा जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं।
लेकिन हैरानी की बात यह रही कि सिर्फ एक हफ्ते बाद ही अदालत ने गोसल को जमानत दे दी। यही नहीं, यह पहला मौका नहीं है जब उसे इतनी जल्दी राहत मिली हो। नवंबर 2024 में भी ब्रैम्पटन की एक घटना के बाद वह गिरफ्तार हुआ था और तुरंत जमानत पर बाहर आ गया था।

धमकी वाला वीडियो
जमानत के बाद गोसल ने जो वीडियो जारी किया, उसने माहौल को और गरमा दिया। वीडियो में उसने कहा,
“भारत, मैं आज़ाद हूँ। मैं गुरपवन सिंह पन्नून का समर्थन करता हूँ। 23 नवंबर 2025 को खालिस्तान जनमत संग्रह होगा और दिल्ली बनेगा खालिस्तान।”
इतना ही नहीं, पन्नून और गोसल दोनों ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल को चुनौती दी। उनका कहना था कि अगर भारत में हिम्मत है, तो कनाडा या अमेरिका आकर गिरफ्तारी करे। इस तरह की सीधी धमकी स्वाभाविक रूप से भारत की सुरक्षा एजेंसियों और आम लोगों को चिंता में डालने वाली है।
क्यों बढ़ रही है चिंता?
NDTV News: खालिस्तानी समर्थक गतिविधियाँ पिछले कुछ सालों से भारत-कनाडा संबंधों में तनाव की वजह रही हैं। भारत कई बार कनाडा से शिकायत कर चुका है कि वहाँ इस तरह के संगठन और लोग खुलेआम प्रचार कर रहे हैं।
गोसल का वीडियो यह साफ करता है कि ये लोग केवल अदालत में लड़ाई लड़ने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि खुले तौर पर भारत की संप्रभुता को चुनौती दे रहे हैं। यही कारण है कि भारत सरकार और जनता दोनों इस मामले को लेकर गंभीर हैं।
कनाडा की न्याय व्यवस्था पर सवाल
NDTV News: सवाल यह भी उठ रहा है कि गोसल जैसे आरोपी को इतनी जल्दी जमानत क्यों दी गई? जब किसी के खिलाफ हथियार रखने और खतरनाक इरादे से इस्तेमाल करने जैसे आरोप हों, तो क्या जमानत इतनी आसान होनी चाहिए?
कनाडा का कानून मानवाधिकार और स्वतंत्रता पर काफी जोर देता है। लेकिन जब वही स्वतंत्रता आतंक या हिंसा के समर्थन में बदल जाए, तो उसका असर सिर्फ कनाडा तक सीमित नहीं रहता, बल्कि दूसरे देशों—खासकर भारत—तक भी पहुँचता है।
भारत और कनाडा के रिश्तों पर असर
NDTV News: भारत और कनाडा के रिश्ते पहले से ही खटास से गुजर रहे हैं। बीते महीनों में दोनों देशों के बीच कई बार तीखे बयानबाज़ी हुई। खालिस्तानी समर्थक गतिविधियों ने इस खटास को और गहरा कर दिया है।
गोसल का मामला इस रिश्ते पर और दबाव डाल सकता है। भारत चाह रहा है कि ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई हो, जबकि कनाडा की न्याय व्यवस्था अक्सर अपेक्षा से अलग रुख अपनाती दिखती है।
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निष्कर्ष
इंदरजीत गोसल को जमानत और उसके बाद धमकी वाला वीडियो—ये दोनों घटनाएँ बताती हैं कि यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं है, बल्कि राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय भी है। भारत की सुरक्षा एजेंसियाँ सतर्क हैं, लेकिन असली सवाल कनाडा के रुख पर है।
“ndtv news” की इस रिपोर्ट ने एक बार फिर सबका ध्यान इस मुद्दे की ओर खींचा है। यह साफ है कि आने वाले दिनों में यह मामला भारत-कनाडा संबंधों और खालिस्तानी गतिविधियों पर गहरा असर डाल सकता है।





