Delhi high court: नई दिल्ली, 12 सितम्बर 2025 — राजधानी दिल्ली में शुक्रवार की सुबह अचानक तनावपूर्ण माहौल बन गया, जब दिल्ली हाई कोर्ट को ईमेल के ज़रिए बम से उड़ाने की धमकी दी गई। इस संदेश ने पूरे न्यायालय परिसर में अफरा-तफरी मचा दी। देखते ही देखते जज, वकील और आम लोग कोर्ट से बाहर निकलने लगे और परिसर को पूरी तरह खाली करा लिया गया।
Delhi high court: घटना का पूरा सिलसिला

Delhi high court: सुबह लगभग 8:30 बजे अदालत के रजिस्ट्रार जनरल और कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को एक ईमेल प्राप्त हुआ। मेल में दावा किया गया कि कोर्ट के अंदर कई जगहों पर विस्फोटक रखे गए हैं और दोपहर तक धमाका किया जाएगा। यह सुनते ही सुरक्षा अलर्ट जारी कर दिया गया। जजों को तत्काल अपनी कुर्सियाँ छोड़नी पड़ीं और चल रही कार्यवाही बीच में ही रोक दी गई।
सुरक्षा एजेंसियों की त्वरित कार्रवाई
दिल्ली पुलिस ने तुरंत पूरे इलाके को घेर लिया।
- बम निरोधक दस्ते (BDS) और डॉग स्क्वाड को मौके पर तैनात किया गया।
- अग्निशमन विभाग और एनएसजी के कुछ अधिकारी भी मौके पर पहुँचे।
- कोर्ट परिसर और आसपास के सभी वाहनों की सघन तलाशी ली गई।
करीब दो घंटे तक चली जांच के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि कहीं भी विस्फोटक सामग्री नहीं मिली।
अफरा-तफरी और भय का माहौल
Delhi high court: जैसे ही धमकी की खबर फैली, कोर्ट में मौजूद वकील और आम लोग घबराकर बाहर निकलने लगे। कई लोगों ने बताया कि अचानक सबको बाहर जाने के लिए कहा गया और माहौल तनावपूर्ण था। वकीलों के अनुसार, कोर्ट के भीतर ऐसा नज़ारा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा।
एक वकील ने कहा— “सुबह बहस शुरू ही हुई थी कि अचानक सबको बाहर जाने का आदेश दिया गया। कुछ देर के लिए तो समझ ही नहीं आया कि हुआ क्या है।”
पुलिस का बयान
Delhi high court: डीसीपी (नई दिल्ली) ने बताया कि धमकी ईमेल की जांच साइबर सेल कर रही है। प्रारंभिक जांच में यह झूठी धमकी (hoax) प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि जनता को डरने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन सुरक्षा को लेकर कोई ढील नहीं बरती जाएगी।
पूर्व में भी राजधानी में अनेक संस्थाएँ, अस्पताल और सरकारी कार्यालय इसी तरह की धमकी संदेशों से प्रभावित हुए हैं, जो बाद में झूठी निकलीं।
हाल के दिनों में बढ़ी फर्जी धमकियाँ
दिल्ली और अन्य महानगरों में पिछले कुछ महीनों में इस तरह की धमकियाँ बढ़ी हैं। स्कूल, अस्पताल और मेट्रो स्टेशनों को भी कई बार ऐसे संदेश मिले हैं। हर बार सुरक्षा एजेंसियों ने तत्परता दिखाई और राहत की बात यह रही कि ये सभी धमकियाँ झूठी निकलीं। लेकिन हर बार भारी संसाधन, समय और ऊर्जा इनकी जांच में लग जाती है।
जनता और न्याय व्यवस्था पर असर
ऐसी घटनाएँ न सिर्फ कोर्ट की कार्यवाही को प्रभावित करती हैं, बल्कि जनता का समय भी बर्बाद होता है। आज कई मामलों की सुनवाई स्थगित करनी पड़ी। जिन लोगों की सुनवाई तय थी, उन्हें अब अगली तारीख का इंतज़ार करना होगा।
निष्कर्ष
delhi high court में आई इस धमकी ने एक बार फिर याद दिलाया है कि सुरक्षा से किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जा सकता। झूठी धमकियाँ भी उतनी ही गंभीर होती हैं क्योंकि वे पूरे तंत्र को हिला देती हैं।
यह घटना साफ दिखाती है कि न्यायपालिका जैसे संवेदनशील संस्थानों की सुरक्षा पर हर पल चौकसी ज़रूरी है। साथ ही, सरकार और एजेंसियों को साइबर अपराधियों पर भी नकेल कसनी होगी, ताकि भविष्य में ऐसे ईमेल के ज़रिए समाज में डर और अव्यवस्था न फैलाई जा सके।
delhi high court की इस घटना ने ये संदेश दिया है कि न्यायालय सिर्फ सुनवाई का स्थान नहीं है, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहाँ न्याय की प्रक्रिया के बीच सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भी उतनी ही अहम है। जनता और न्यायालय दोनों के लिए यह जरूरी है