नई दिल्ली/कोलकाता, 5 सितंबर 2025 — पश्चिम बंगाल के चर्चित SSC भर्ती घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट ने सख़्त रुख अपनाते हुए साफ़ कहा है कि जिन उम्मीदवारों के नाम “दागी सूची” में हैं, वे अब होने वाली परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाएंगे। इस आदेश ने राज्य की राजनीति और शिक्षा जगत दोनों में हलचल मचा दी है।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश
SSC:- सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि 7 और 14 सितंबर को होने वाली परीक्षाओं में किसी भी संदिग्ध उम्मीदवार को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। अदालत ने साथ ही CBI की भूमिका पर भी सवाल उठाए और पूछा कि इतने लंबे समय में अब तक मुख्य आरोपियों को तलब क्यों नहीं किया गया। न्यायमूर्ति संजय कुमार ने टिप्पणी की— “भ्रष्टाचार से जुड़ा इतना बड़ा मामला है, लेकिन जांच की गति संतोषजनक नहीं है।”
SSC की ओर से 1,804 ‘दागी’ उम्मीदवारों की सूची
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर SSC (School Service Commission) ने 30 अगस्त को अपनी वेबसाइट पर 1,804 उम्मीदवारों की सूची जारी की। ये वे उम्मीदवार हैं जिनकी नियुक्तियों को लेकर भ्रष्टाचार और गड़बड़ी के आरोप लगे थे। आयोग ने यह भी माना कि गलती से इनमें से कुछ उम्मीदवारों को एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए थे, लेकिन बाद में उन्हें वापस ले लिया गया।
हाईकोर्ट का भी कड़ा रुख
कोलकाता हाईकोर्ट ने भी इन ‘दागी’ उम्मीदवारों की याचिकाओं को खारिज कर दिया। अदालत ने सख़्त लहजे में कहा— “इतने सालों तक आप चुप क्यों थे? अब परीक्षा से ठीक पहले अदालत का दरवाज़ा क्यों खटखटाया?” हाईकोर्ट ने SSC की लापरवाही पर भी सवाल खड़े किए कि ऐसी संवेदनशील भर्ती प्रक्रिया में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई।
SSC की दलील और कोर्ट की प्रतिक्रिया
SSC ने अदालत में दलील दी कि इन उम्मीदवारों को पहले ही पदों से हटाया जा चुका है और उनका वेतन भी वापस लिया गया है। अब उन्हें परीक्षा में शामिल होने से रोकना ‘डबल पेनल्टी’ जैसा होगा। लेकिन अदालत ने इस तर्क को मानने से इंकार कर दिया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्पष्ट है—दागी उम्मीदवारों को किसी भी नई भर्ती प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा।
राज्य सरकार की अलग राय
इस पूरे विवाद पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक अलग ही दृष्टिकोण रखा। उन्होंने कहा कि “इन शिक्षकों ने दस साल तक काम किया है, इन्हें अब पूरी तरह बेरोजगार कर देना मानवीय नहीं होगा।” ममता बनर्जी ने सुझाव दिया कि ऐसे उम्मीदवारों को गैर-शिक्षण पदों पर या किसी वैकल्पिक व्यवस्था में समायोजित किया जा सकता है। हालांकि अदालतें इस तर्क से सहमत नहीं दिखीं।
CBI की भूमिका पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने CBI की जांच पर भी नाराज़गी जताई। अदालत ने पूछा कि इतने बड़े घोटाले में मुख्य आरोपी अब तक जांच के दायरे से बाहर क्यों हैं। जस्टिस संजय कुमार ने कहा— “यह मामला केवल परीक्षा नहीं, बल्कि लाखों छात्रों के भविष्य से जुड़ा है। इसमें किसी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
छात्रों और अभिभावकों की चिंता
इस पूरे विवाद का सबसे बड़ा असर उन छात्रों पर पड़ा है जो वर्षों से SSC की तैयारी कर रहे हैं। कई अभ्यर्थियों का कहना है कि भ्रष्टाचार की वजह से योग्य उम्मीदवारों का भविष्य अंधेरे में चला गया। अब सुप्रीम कोर्ट का आदेश उनके लिए उम्मीद की किरण है कि आगे की प्रक्रिया निष्पक्ष तरीके से होगी।
समग्र तस्वीर
- सुप्रीम कोर्ट ने दागी उम्मीदवारों को परीक्षा से बाहर कर दिया।
- SSC ने 1,804 नामों की सूची जारी की।
- हाईकोर्ट ने याचिकाएं खारिज कर दीं।
- राज्य सरकार मानवीय दृष्टिकोण की बात कर रही है।
- CBI की सुस्ती पर अदालत ने सवाल उठाए।
निष्कर्ष
SSC भर्ती घोटाला सिर्फ़ एक परीक्षा का मामला नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था और संस्थानों पर जनता के भरोसे का सवाल है। सुप्रीम कोर्ट के सख़्त आदेश ने यह संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार और अनुचित लाभ की कोई जगह नहीं है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि आयोग और सरकार इस आदेश को कैसे लागू करते हैं और छात्रों का विश्वास कैसे बहाल होता है।