Arun Gawli:- नागपुर, 4 सितंबर 2025 – नागपुर की केंद्रीय जेल के बाहर बुधवार दोपहर अचानक भीड़ उमड़ आई। कैमरों की फ्लैश लाइट, समर्थकों की जयकार और सबसे बढ़कर परिवार के आंसुओं से भरी आंखें… यह सब किसी और के लिए नहीं, बल्कि कभी मुंबई की अंडरवर्ल्ड दुनिया में ‘डैडी’ के नाम से पहचाने जाने वाले Arun Gawli के लिए था। लगभग 17 साल सलाखों के पीछे बिताने के बाद गवली को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली और वे रिहा हुए।

Arun Gawli:- हत्या के मामले में सज़ा और लंबा इंतज़ार
2007 में शिवसेना नगरसेवक कमलाकर जामसंदेकर की हत्या ने मुंबई की सियासत और अपराध जगत में भूचाल ला दिया था। इस मामले में गवली को दोषी करार दिया गया और 2012 में उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई। तब से लेकर अब तक वे नागपुर जेल में बंद रहे। लंबी कानूनी लड़ाई, लगातार अपीलें और वक़्त के साए के बीच 17 साल का समय गुजर गया।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया ज़मानत का सहारा
Arun Gawli:- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि गवली 70 पार उम्र के हो चुके हैं और उनकी अपील लंबे समय से लंबित है। अदालत ने न्याय के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए उन्हें ज़मानत दे दी। इसके बाद बुधवार दोपहर वे नागपुर जेल से बाहर आए। उस क्षण उनके परिवारजन, करीबी और कई पुराने समर्थक पहले से बाहर इंतज़ार कर रहे थे।
परिवार से मुलाक़ात का भावुक पल
जेल से बाहर निकलते ही Arun Gawli सीधे अपने परिजनों की ओर बढ़े। पत्नी और बेटी की आंखों से आंसू छलक पड़े। गवली ने उन्हें गले लगाया और मुस्कुराते हुए कहा कि अब उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता परिवार है। लंबे समय तक अपने बच्चों और पोते-पोतियों से दूर रहने वाले Arun Gawli अब शांति और सुकून भरा जीवन जीना चाहते हैं।
‘अंशतः न्याय मिला है’ – गवली
Arun Gawli:- रिहाई के बाद मीडिया से बातचीत में गवली ने कहा, “मैं न्यायपालिका का आभारी हूँ। मुझे आंशिक न्याय मिला है। आगे की लड़ाई अभी बाकी है, लेकिन अब मैं अपने परिवार के साथ रहना चाहता हूँ।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि जेल के सालों ने उन्हें सिखाया कि रिश्तों की अहमियत सबसे ऊपर होती है।
दगडी चाळ से विधानसभा तक का सफर
Arun Gawli का नाम मुंबई के दगडी चाळ से जुड़ा रहा है, जहां से उन्होंने अंडरवर्ल्ड की दुनिया में कदम रखा। 1980 और 90 के दशक में Arun Gawli का नाम अंडरवर्ल्ड में दाऊद इब्राहिम और अन्य गैंगस्टरों के साथ लिया जाता था। हालांकि, बाद में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और 2004 में चिंचपोकली सीट से विधायक चुने गए। ‘डैडी’ नाम से मशहूर गवली की छवि अपराध और राजनीति के बीच झूलती रही।
जेल जीवन और पैरोल पर रिहाई
पिछले 17 सालों में गवली कई बार पैरोल और फर्लो पर बाहर आए, लेकिन ज्यादातर वक्त उन्होंने जेल की चारदीवारी में बिताया। जेल अधिकारियों का कहना है कि गवली ने भीतर रहते हुए भी अनुशासन का पालन किया और कई कैदियों के साथ सहज व्यवहार किया। हालांकि, परिवार से लंबे समय तक दूर रहना उनके लिए सबसे बड़ी सज़ा साबित हुआ।
नई शुरुआत की उम्मीद
रिहाई के बाद Arun Gawli के समर्थकों में खुशी साफ झलक रही थी। लेकिन गवली खुद इस बार पूरी तरह शांत और संयमित नज़र आए। उन्होंने साफ कहा कि अब वे किसी राजनीतिक या बाहरी गतिविधि में तुरंत शामिल नहीं होंगे। उनका ध्यान सिर्फ़ परिवार और स्वास्थ्य पर रहेगा।
निष्कर्ष
Arun Gawli की रिहाई महज़ एक व्यक्ति का जेल से बाहर आना नहीं है, बल्कि यह मुंबई के अंडरवर्ल्ड और राजनीति की उन कहानियों की याद दिलाती है जो कभी शहर की सड़कों पर हावी रहती थीं। आज, 76 साल की उम्र में गवली अपने परिवार के बीच नई जिंदगी शुरू करने जा रहे हैं। समय बताएगा कि उनका यह नया सफर कैसा रहेगा, लेकिन फिलहाल ‘डैडी’ ने अपने अतीत की परछाइयों को पीछे छोड़ परिवार की ओर कदम बढ़ा दिए हैं।