Bharti Airtel: आज सुबह से ही भारतीय शेयर बाजार में एक हलचल सी दिखी, खासकर टेलीकॉम सेक्टर में। सीजन की तेजी को बड़े ब्रोकरेज हाउस UBS ने धीमी करते हुए Bharti Airtel को ‘Neutral’ से नीचे ‘Sell’ रेटिंग दी है। इस खबर के आते ही एयरटेल के शेयर करीब 2–3 % तक गिर गए। आइए जानते हैं क्या वजह है इस अचानक आई गिरावट की और इसका क्या मतलब है भविष्य के लिए।
UBS ने क्यों बदला रुख

UBS का कहना है कि एयरटेल का हालिया 20 % YTD (Year to Date) रैली वैल्यूएशन के हिसाब से बहुत ऊँचा हो चुका है। उन्होंने कहा कि टेलीकॉम सेक्टर फिलहाल “priced for perfection” यानि अपेक्षाओं से ज़्यादा महंगा हो चुका है। उन्होंने एयरटेल का लक्ष्य शेयर प्राइस ₹1,970 से पीछे खींचा है, हालांकि उनकी कुछ औसत वार्षिक राजस्व (ARPU) उम्मीद अभी भी बनी हुई है।
FY25 से FY28 के बीच 10 % ARPU ग्रोथ की उम्मीद जताई गई है, लेकिन इसमें देरी की आशंका को भी तवज्जो दी गई है। UBS ने यह भी चेतावनी दी है कि FY26 में टैरिफ बढ़ौतरी में देर हो सकती है या वैसा असर नहीं मिलेगा जैसा बाज़ार मान रहा है। जल्दी मिलने वाली बोनस, शेयर रिटर्न या डिविडेंड की उम्मीदों पर फिलहाल पानी फिरता नजर आ रहा है।
शेयरों पर क्या असर पड़ा?
इस डॉवngrading के बाद एयरटेल के शेयर सीधेरूप से प्रभावित हुए। BSE पर यह करीब ₹1,965 से ₹1,917 तक गिर गए, जो कि तक़रीबन 2.2 % की गिरावट थी। इससे पहले यह पिछले साल ₹1,421 के स्तर से उबरकर इस साल जुलाई की शुरुआत में ₹2,045 तक पहुंचा था, जो एक मजबूत रैली का संकेत देता है। लेकिन UBS की नजरिए इस रैली की व्यवहार्यता पर सवाल खड़े कर रही है।
तकनीकी विश्लेषण कहता है…
तकनीकी विश्लेषण के अनुसार, एयरटेल फिलहाल अपनी 20‑दिन की EMA से नीचे आ चुकी है, जबकि 50‑दिन और 200‑दिन की EMA के ऊपर बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि ₹1,890‑₹1,900 का क्षेत्र फिलहाल एक मजबूत सहयोगक्षेत्र (support zone) बन सकता है। वहीं ऊपर की ओर ₹1,970 पर एक मजबूत अवरोध (resistance) नजर आ रहा है, जिससे पार पाया गया तो रैली की राह साफ हो सकती है।
कितनी उम्मीद बची है?
UBS का मानना है कि FY26 की पहली तिमाही यानी Q1FY26 बेसिक रूप से “boring quarter” साबित हो सकती है। ARPU वृद्धि केवल 1.2 – 1.7 % तक सीमित रह सकती है और ग्राहक वृद्धि भी धीमी बनेगी। हालांकि एयरटेल के ब्रॉडबैंड और एंटरप्राइज डिविजन में अच्छी ग्रोथ की संभावना बनी हुई है, जिससे संपूर्ण राजस्व और EBITDA में 18 – 20 % वार्षिक वृद्धि होने की उम्मीद है।
INVESTORS के लिए क्या सवाल

आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि क्या टैरिफ बढ़ौतरी की नीति उम्मीदों के अनुरूप बनेगी, या फिर कंपनियां इस बढ़ौतरी में पिछड़ जाती हैं। यदि ARPU की प्रगति धीमी रह गई, तो UBS की चेतावनी निवेशकों के लिए सच साबित हो सकती है। दूसरी ओर, यदि एयरटेल Q1FY26 में दिलासा देने वाली प्रगति का प्रदर्शन करती है तो यह स्थिति फिर से बदल सकती है।
UBS की रेटिंग ‘Sell’ में परिवर्तन के बाद आज एयरटेल के शेयरों में गिरावट आई है लेकिन यह पैनिक का संकेत नहीं है। यह एक सतर्कता भरी प्रतिक्रिया है जो संकेत देती है कि इस रैली के पीछे सुदृढ़ मूल्यांकन की अपेक्षा थी। निवेशकों को सलाह है कि वे जल्दबाज़ी में निर्णय न लें, और बज़ार की कारगुजारियों, नकदी प्रवाह, तथा कंपनी की दीर्घकालिक ब्लूप्रिंट पर नज़र बनाकर निवेश की रणनीति बनाएं।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह किसी प्रकार की वित्तीय सलाह नहीं है। शेयर बाज़ार में निवेश जोखिम भरा होता है, इसलिए निवेश करने से पहले वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य करें।